करवाचौथ अटूट प्रेम का त्यौहार,
सुहागिनें करती चंदा का दीदार,
साजन हो दीर्घायु, अटूट रहे प्रेम,
हाथों के चुड़ी खनके,मेहंदी रचाई,
माथे पर बिंदिया,मांग भरे सिंदूर,
पांव में महावर,पायजनिया ,बिछिया,
आंखों में कजरा, वेणी में गजरा,
सुंदर से परिधान में सुसज्जित नारी,
सोलह श्रृंगार कर बनी रूपसी ,
एक चांद आसमान पर इतरा रहा,
एक धरा पर उतर आया हो जैसे,
अर्ध्य देती सुहागिनें चंद्रमा को,
तत्पश्चात,छलनी से निहारती चंदा को,
उसी छलनी से निहारती सजना को,
निर्जला व्रत खोलती सुहागिनें,
साजन के हाथों से पानी पी कर,
भारत की संस्कृति की झलक करवा चौथ व्रत मनभावन सा।
सविता राज
मुजफ्फरपुर बिहार