कभी कभी होता है ऐसा प्रतीत,
मानो जीवन के कुछ लम्हे रुक जाऐ,
जिसमे सभी परिस्तिथियों मे भविष्य,वर्तमान, अतीत,
सब रेत की तरह फिसल जाऐ,
बच जाए, तेरी आवाज तेरा एहसास ।
कभी कभी होता है ऐसा प्रतीत
मानो मेरे भीतर की आतुरता, उत्सुकता
सब जाना चाहे तेरे पास,
सोना चाहती मेरी आत्मा भी तुम्हारी गोद मे
काश सब रुपांतरण हो जाए
तेरी ममतामयी प्यार की ओट मे।
।।माँ।।
प्रिती उपाध्याय@