राधा की नई नई शादी हुई थी। वह रसोई में काम कर रही थी। तभी उसकी ननद आई,” भाभी, आज हम सब मूवी देखने जा रहें हैं। तुम भी चलोगी ना!”राधा ने शरमाते हुए खुशी से हां भर दी। थोड़ी देर में शांति जी रसोई में आकर राधा से बोली,” बहू अच्छे भारी कपड़े पहनना, लगना चाहिए कि नई बहू को घुमाने निकलें हैं। लोग भी तो देखें हमारी नई बहू कितनी शान से रहती है।” राधा एकदम से मुरझा सी गई। वो पेंट-टी शर्ट पहनने वाली लड़की पहले ही भारी कपड़ों से परेशान थी। लेकिन क्या करती, सबको अपना बनाने की जो ठान रखी थी। जैसे वो नचाते वैसे नाचती।
सिनेमा हॉल में भी मानव (राधा का पति). राधा से अलग मां के पास बैठा और नीला (राधा की ननद), राधा के पास बैठी। फिल्म में जब रोमांटिक गाना आता तब दोनों एक दूसरे की तरफ भावभीनी नज़र से देखते जैसे नए प्यार की कली बगिया में खिलने को बेकरार हो, फिर अचानक किसी आवाज के साथ घबराकर नज़र फेर लेते।
घर पहुंचकर सबसे पहले राधा कपड़े बदलने गई। मानव भी अपने मन के अरमान उसे बताने के लिए पीछे पीछे चल दिया।तभी पीछे से आवाज आई,” अरे ओ जोरू का गुलाम, कहां जा रहा है?” मां ने व्यंग कसा।
मानवः” मां वो… कपड़े बदलने।”
मां ने अकड़कर कहा,” अभी उसे आ तो जाने दे, तब तक देख मैं क्या कह रही थी.. यहां तो आ !”मां ने बुलाकर ऊलुल जुलूल बातों में लगा दिया, मानव को।
अंदर राधा सब सुनकर कुछ हताश सी हो गई। लेकिन फिर अपने प्रण को लेकर खड़ी हुई कि सबका दिल जीतना है।
शाम को नीला राधा के कमरे में गई। भाभी वो हीरोइन कितना अच्छा डांस कर रही थी मैं तो देखती रह गई। काश, मुझे भी आता।” नीला ने बेबाक अंदाज में कहा।
राधा अचानक बोल पड़ी ,” डांस…. वो तो मुझे भी आता है…. एकदम बोलकर वह चुप हो गई। फिर नीला ने ज़िद की तो दोनों भाभी ननद ऊपर नीला के कमरे में गई और म्युजिक सिस्टम चालू किया। राधा के साथ नीला भी डांस करने लगी।
“भाभी आप कितना अच्छा डांस करती हो, मैं तो आपकी फेन हो गई।” नीला ने खुले मन से कहा। तभी दरवाज़ा खटखटाने की आवाज आई।
दरवाजा खोला तो शांति जी खड़ी थी।” क्या हो रहा है यहां? दरवाजा क्यों बंद किया है? ” शांति जी ने नाराज़ स्वर में पूछा।नीलाः ” मां, भाभी कितना अच्छा नाचती हैं!”राधा ने बीच में ही नीला का हाथ पकड़कर उसे रोकना चाहा।
शांति जीः” हद है बहू, हमारे घर में नाच नचाना नहीं होता। ये सब तुम भूल जाओ।”
नीलाः” क्या मां, तीज-त्योहार, किसी फंक्शन में हम सभी नाचते तो हैं।”
शांति जीः” मैंने कहा ना, नहीं!
शांति जी के जाने के बाद नीला को दिलासा देकर राधा फिर रसोई में रात का खाना टेबल पर लगाने लगी।
दिन बितते चले गए। एक दिन घर पर कोई नहीं था, मौका देखकर राधा का मन हुआ गुनगुनाने का। वह एक रोमांटिक सा गाना गुनगुनाने लगी। तभी शांति जी और मानव का आना होता है। मानव उसकी आवाज़ सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। उसे देख शांति जी और गुस्सा करने लगी और बोली,” बस, ये ही बाकी था। अब गाना बजाना शुरू हो जाएगा घर में। नचनिया भी बुलवा लें घर में? “
मानव का चेहरा फीका पड़ गया। राधा भी आंखों में आंसू रोक नहीं पाई और सीधी अपने कमरे की तरफ दोड़ पड़ी।
” बस ज़रा कुछ बोल दो तो मुंह चढ़ जाता है। बिल्कुल सहनशक्ति नहीं है तेरी बिंदनी में।” मां ने कठोर स्वर में मानव को कहा।
मानव सर झुकाए चुपचाप बैठ गया। दिन बितते जा रहे थे मगर मानव की मां किसी प्रकार से राधा की भावनाओं से समझौता करने को तैयार नहीं थीं ।
फिर एक दिन नीला अपने कमरे में होमवर्क कर रही थी तब राधा उसके पास जाती है।” क्या कर रही हो, मुझे दिखाओ।” राधा ने प्यार से कहा।
नीलाः” देखो ना भाभी, मेरी ग्रामर विक है और यह सेन्टेंस मुझसे नहीं बन रहा। क्या करूं? कुछ समझ में नहीं आता।”
राधाः ” लाओ, मैं कर देती हूं।”
नीलाः” आपको आता है? ” ( बड़े आश्चर्य से राधा की ओरदेख रही थी)
राधाः” अफकोर्स, शादी से पहले मैं स्पोकन इंग्लिश क्लास चलाती थी।”
नीलाः” अरे वाह, आप मुझे सिखाएंगी?”
राधाः” हां, व्हाय नोट!”
सारा दिन राधा काम करती और दिन में नीला को अंग्रेजी सिखाती। नीला की अंग्रेजी में सुधार देखकर आस-पड़ोस में सभी पूछने लगे। तब नीला ने अपनी भाभी के बारे में बताया। सभी अपने बच्चों को राधा के पास भेजना चाहते थे, अंग्रेजी सिखने के लिए।
शांति जीः” हमें भगवान ने बहुत दिया है, कोई क्लासिस शुरू करने की जरूरत नहीं। इतने सारे क्लासिस चल रहे हैं, वहां भेजो अपने बच्चों को। हमारी बिंदनी को थोड़े ही कुछ आता है। नीला तो भोली है।”
आस-पड़ोस की महिलाएं चलीं गईं।राधा हैरान थी, वो सोच रही थी कि वो दिल जीतने चली थी या पत्थर। और बोल पड़ी,” आप मुझे कब तक अपने इशारों पर नचाएंगे! अगर मैं अलग रहने चली जाऊं आपके बेटे को लेकर तो आपको अच्छी लगूंगी ! पर क्योंकि साथ हूं तो मुझे यह सब सहन करना होगा। कब तक में सहूंगी ! आज आप ही निश्चित कीजिए कि आपको मेरा मौन पसंद है या जवाब। मैं दोनों के लिए तैयार हूं। कृपया मुझे कठपुतली समझना बंद करें।”
आज शांति जी को अहसास हुआ कि राधा के मुंह में जबान भी है और वह कैंची की तरह चलती भी है।
सार : दोस्तों कहा जाता है कि ग्लास से वही छलकता है जो उसमें भरा हो। सही है लेकिन यदि शर्बत भरे ग्लास में हम जाने-अनजाने यदि कीचड़ भरते हैं तो शुरू में शर्बत ही छलकेगा किंतु शर्बत की जगह पूरी तरह यदि कीचड़ ने ले ली तो वो ही छलकेगा। हम पर निर्भर करता है कि हम ग्लास में क्या भरना चाहते हैं। संबंधों को प्यार और संवेदना की आवश्यकता है, मेरा यही मानना है, और आपका?
आपकी अपनी
(deep)