औषधि बन गई आजकल, जीवन का आधार।
बिना औषधि मानव जीवन,
हो जाता लाचार।।
आज प्रकृति का हर प्राणी,
जीता औषधि के सहारे।
सब्जी फल दूध दही ,
टिकते औषधि के सहारे।।
बूढ़े बच्चे और जवान,
सबको औषधि चाहिए ।
बिना मिलावट आजकल,
कोई वस्तु न पाइए।।
मिलावटी भोजन खा -खा कर, सब पढ़ते हैं बीमार।
इसीलिए औषधि खाने को,
हो जाते लाचार।।
योग अपनाएं सात्विक भोजन, रखें स्वच्छ विचार।
यही मिटा सकता है,
जीवन का सारा विकार।।
स्वरचित व मौलिक तथा अप्रकाशित रचना
रचनाकार -नूतन राय
नालासोपारा, महाराष्ट्र