देखो कैसा ये दौर है आया,
मोबाइल, टैब का ज़माना है आया।
बचाते थे कल तक जिनको,
आज वही सबसे ज्यादा चलाते इसको।
ऑनलाइन के दौर में अब,
पढ़ाई कर रहे इससे ही सब।
तकनीकी ज्ञान बढ़ गया है,
सोशल मीडिया का जोर चल गया है।
एक बटन पर ही मिल जाता सारा ज्ञान,
जिससे हम सब थे कभी अंजान।
नये जमाने में है चारों ओर यह शोर,
चले ना अब जिस पर किसी का जोर।
फेसबुक, व्हाट्स और साहित्य समूह परिवार,
प्रतिभाओं को मिल रहा अभिव्यक्ति का आधार।
बच्चों में है उत्साह, सब जानने और देखने का,
चश्मा भी चढ़ गया, बढ़ता जा रहा नंबर उसका।
रहें सावधान सभी करें सही संज्ञान,
ना हो दुरुपयोग इंटरनेट का, हो सदुपयोग सदा।
© मनीषा अग्रवाल
इंदौर मध्यप्रदेश
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