पीकर आंसू मुस्कुराना आ गया ।
ऐ जिंदगी तुमसे निभाना आ गया ।।
चुभने लगे थे फूल सारे जिंदगी के
होंठ भी जलने लगे थे हंसी से
कर लिया कांटों से हमने दोस्ती
दर्द अब सहना छुपाना आ गया ।१।
ऐ जिन्दगी……………….
गैरों के सितम का क्या करूं उनसे गिला
गहरे जख्म का खंजर तो अपनों के हाथ था
मौन रहकर सह गई मैं वार सारे
हर वार से खुद को बचाना आ गया ।२।
ऐ जिंदगी……………
मुस्कुरा कर दुश्मनों से मिलने लगी
जख्म अपने कुछ इस तरह सिलने लगी
आजकल देख कर मुझे लोग हैरान है
अब चेहरे पर चेहरा लगाना आ गया ।३।
ऐ जिंदगी………………
स्वरचित :
पिंकी मिश्रा भागलपुर बिहार ।