सिर्फ इसलिए
कि हमें बुरा लगता है देखना…
देश को दंगे-फसादों में
जलते हुए,
मानवता को विभिन्न धर्मों की
बलि-वेदी पर रोज चढ़ते हुए,
निर्दोष बच्चियों एवं महिलाओं को
क्रूर भेड़ियों का शिकार बनते हुए,
सिर्फ इसलिए
कि हमें बुरा लगता है सोचना…
एक दिन कहीं
खाने-पहनने की हमारी
व्यक्तिगत आजादी
राजनीति की भेंट न चढ़ जाए,
एक दिन कहीं
निष्पक्ष राय रखने की हमारी
व्यक्तिगत आजादी
जेलों में न सड़ जाए,
वे रुक नहीं जाएंगे!
वे रुकेंगे केवल तब ही
जब उनको रोकने के लिए
धरातल पर सामूहिक प्रयास किए जाएंगे,
उतरना पड़ेगा पूरे मन से
उनके खिलाफ रणक्षेत्र में,
सिर्फ देखने एवं सोचने भर से
बदलाव नहीं आएंगे।
जितेन्द्र ‘कबीर’
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम – जितेन्द्र ‘कबीर’
संप्रति – अध्यापक
पता – जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश