ऐसा चमन, ऐसा वतन, सारे जहां में मिलेगा।
ऐसा ईमान, ऐसा अमन, सारे जहां में नहीं मिलेगा।।
ऐसा चमन, ऐसा वतन————-।।
मंदिर भी है, मस्जिद भी है, सिक्खों का भी है गुरुद्वारा।
रहते हैं सब मिलजुलकर, यहाँ ऐसा है भाईचारा।।
ऐसी इबादत, ऐसा सन्देश, सारे जहां में नहीं मिलेगा।
ऐसा चमन, ऐसा वतन,———–।।
सहते हैं कष्टों को हंसकर, तूफानों से डरते नहीं।
वादों से नहीं पीछे हटते, बुरा किसी का करते नहीं।।
ऐसी जीवन शैली का किस्सा ,सारे जहां में नहीं मिलेगा।
ऐसा चमन, ऐसा वतन————-।।
यह धरती है वीरों की,सन्तों और मोहब्बत की।
विश्वगुरु है यह भारत, नारी है देवी इस जन्नत की।।
ऐसी संस्कृति, ऐसा इंसाफ, सारे जहां में नहीं मिलेगा।
ऐसा चमन, ऐसा वतन,————।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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