साहित्य ही समाज का दर्पण होता है।
अच्छा लेखक कहलाए उसकी जान।।
हर लेखक का यह ही सपना होता है।
उसका ये साहित्य पढ़े सकल जहान।।
लेखक यही सदा चाहता चले कलम।
उपयोगी विषयों पर आगे बढ़े कदम।।
समसामयिक विषयों पे करे टिप्पड़ी।
लेख लिखे समाज हित में बढ़े कदम।।
लेखक जितना ज्ञानी होगा बुद्धिमान।
उतने ही अच्छे विषयवस्तु दे सकता।।
पढ़ समाज के लोग व छात्र-छात्राएं।
निज जीवन में ज्ञान वृद्धि ले सकता।।
एक लेखक की होती ये अभिलाषा।
उसकी लिखी पुस्तकें सब लोग पढ़ें।।
साहित्य जगत से उसको यह आशा।
स्कूल कालेजों व लाइब्रेरी में भी पढ़ें।।
हरेक लेखक यही चाहता समाज से।
उसको मान मिले सम्मान मिले सदा।।
उसके लेखनी का कायल हो समाज।
लिखा हुआ साहित्य अमर रहे सदा।।
नामचीन लेखकों के साहित्यिक ग्रंथ।
पढ़ कर लोगों का मार्ग प्रसस्थ होता।।
उदाहरण बनता है सृजनात्मक ग्रंथ।
लेखक व उसका लेखन अमर होता।।
मिलती उसे रॉयल्टी भी पुस्तकों पर।
प्रकाशकों को होती आय पुस्तकों से।।
विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को भी ज्ञान।
मिलता रहता सदा अच्छी पुस्तकों से।।
एक लेखक को होती है ये भी आशा।
छपे सदा नवीन संस्करण पुस्तकों के।।
श्रेष्ठ रहे चिर काल तक लिखी पुस्तकें।
आदर देने करने वाले हों पुस्तकों के।।
ज्यादातर लेखक की यही अभिलाषा।
संस्था बने धरोहर अमूल्य पुस्तकों के।।
पुस्तकों के संवर्धन हेतु ही है लाइब्रेरी।
वाचनालय में आते हैं प्रेमी पुस्तकों के।।
लेखकों के कृत्यों का उन्हें मिले मान।
यश भारती  साहित्य भारती सम्मान।।
और अनेकों प्रकार के भी हैं सम्मान।
लेखक कवियों को मिलते वे सम्मान।।
लेखकों के जीवन यापन हेतु उन्हें भी।
कुछ साहित्यिक पेंशन भी दे सरकार।।
कई योजनाओं में सरकारी लाभ देतीं।
इस फायदे से लाभान्वित करे सरकार।।
लिखते-2 छपते-2 जीवन होता पार।
लेखक करता कलम कागज से प्यार।।
लेखक कवि को तो खुशी है मिलती।
जब पढ़े लिखे जन का मिलता प्यार।।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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