एक लेखक का सपना होता हैं की उसके मरने के बाद भी अपनी लिखीं हुई रचनाओं से…. पाठकों के दिलों में जिंदा रहें..।
एक लेखक मर जाता हैं… लेकिन अपने लेख से….. अपनी रचनाओं से…. अपनी कविताओं से… अपने साहित्य से…. हमेशा याद किया जाता हैं…।
एक लेखक हर पल बस ये ही कोशिश करता हैं की वो अपने लेख से किसी को तकलीफ ना दे… किसी की भावनाओं को आहत ना करे..।
जागते वक़्त….. सोते वक़्त… खाते वक़्त…. पीते वक्त….. परिवार के साथ हो या दोस्तों के साथ…. हर क्षण वो एक सोच अपने भीतर लेकर चलता हैं….। क्या लिखना हैं…. कैसा लिखना हैं…. कौनसी बात सही रहेगी… कौनसी गलत…।
एक लेखक की जिंदगी कोई आसान नहीं रहतीं… वो अपने काम को हर पल शत प्रतिशत देने की भरपूर कोशिश करता हैं…।
सिर्फ इसलिए की उसके प्रशंसक…..उसके पाठक….उसके चाहने वालों की उम्मीदों पर वो खड़ा उतरे..।
आसान शब्दों में कहूँ तो ये ही लेखक का सपना होता हैं…।
हर काम अपने आप में महत्व रखता हैं… कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता… । जैसे हर कोई हर काम नहीं कर सकता… वैसे ही हर कोई लेखक भी नहीं बन सकता…।
सामाजिक और पारिवारिक जीवन जीते हुए… एक लेखक….अपनी भावनाओं को…. अपनी चाहतों को…. अपने अहसासों को… अपनी बातों को…. अपनी ख्वाहिशों को…. अपने सपनों को…. कागज और कलम की मदद से इस तरहा शब्दों में पिरोता हैं जिससे पढ़ने वाले उन शब्दों में खो जाते हैं….। वो वहीं महसूस करते हैं जो लेखक महसूस कराना चाहता हैं…. और ये ही एक लेखक का सपना और चाहत होती हैं की जो वो लिख रहा हैं…. उसकों पाठक भी उसी तरह समझें और महसूस करें…।