एक लेखक का सपना है
अपनी कलम से गर मैं
दुनियां को बदल पाऊं
तो मैं एक लेखक कहलाऊं…
ह्रदयतल से निकले भावों से
लोगों के ह्रदय तक पहुंच पाऊं
तो मैं एक लेखक कहलाऊं…
अपनी निर्मल भावनाओं को
शब्दों में गर ढाल पाऊं
तो मैं एक लेखक कहलाऊं…
नकारात्मकता को गर मैं
सकारात्मकता में बदल पाऊं
तो मैं एक लेखक कहलाऊं…
दुनियां की बेरंगी सोच को
सच्चाई की किरणों के रंगों में बदल पाऊं
तो मैं एक लेखक कहलाऊं…
कविता गौतम…✍️
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *