एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
तेरी कृपा से ही सतगुरु,जीवन ये होगा पार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
तेरी पूजा और आराधना,तेरा वंदन बारंबार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
दिल में गुरु की ही सूरत,उसका रूप हजार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
ईश्वर सेभी तू तो बड़ा है,महिमा है अपरंपार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
गुरु बिन कोई ज्ञान न होवै,होय न बेड़ा पार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
गुरु ही मार्ग दिखाता ,गुरु ही छाँटे अंधकार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
गुरु ही है मानव रूप में,श्रीहरि का अवतार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
गुरु ही अवतारी प्रभु को,देते शिक्षा संस्कार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
भव से पार उतारे गुरु ही,करे जीवन उद्धार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
वही मार्ग दिखाए हमें,पहुंचाए मोक्ष के द्वार। 
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
मात-पिता के बाद गुरु है,जीवन का आधार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
हे! जगदीश्वर मेरे स्वामी,हे!गुरु हे! सरकार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
भव बंधन से दे छुटकारा,करे तूही चमत्कार।
एक तू ही आधार सतगुरु,एक तू ही आधार।
हे!गुरु तेरा शत-2 नमन है,श्रद्धा भरी अपार।
एक तू ही आधार सतगुरु, एक तू ही आधार।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़सिटी,उ.प्र.
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