उसने अपना पसीना बहाया है,
ताकि उसके मन को संतोष हो,
उसने खुद को सक्षम बनाया है,
वह निर्भर नहीं हो दूसरों पर,
उसने अपना पसीना बहाया है।

उसने नहीं छोड़ी मेहनत,
ताकि वह असफल नहीं हो,
उसकी योग्यता की कद्र हो,
समाज में उसका भी मुकाम हो,
उसने अपना पसीना बहाया है।

वह कई दिनों तक भूखा रहा है,
और अपने खून से अपने चमन को,
सींचता रहा है वह आज तक,
ताकि वह गुलजार रहे कल भी,
उसने अपना पसीना बहाया है।

उसने जागकर बिताई है अपनी रातें,
ताकि वह भविष्य में चैन से सो सके,
उसने किनारा किया है रिश्तेदारों से,
ताकि दोस्त उसका साथ नहीं छोड़े,
उसने अपना पसीना बहाया है।

फिर भी सोचता है वह आज भी,
रात को वह देर तक जागकर,
लेकिन क्यों ? और किसके लिए ?
जबकि छोड़ चुके हैं उसको सभी,
और कोई भी नहीं है उसके साथ,
उसने अपना पसीना बहाया है।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Spread the love
Gurudeen Verma

By Gurudeen Verma

एक शिक्षक एवं साहित्यकार(तहसील एवं जिला- बारां, राजस्थान) पोस्टेड स्कूल- राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नांदिया, तहसील- पिण्डवाड़ा, जिला- सिरोही(राजस्थान) 2900 से ज्यादा रचनायें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *