पीड़ाओं के मैल को मैंने
उबटन की तरह उतार दिया।
दुश्चिंताओं के घेरे को
कपूर की तरह उड़ा दिया।
विश्वास की बाती रख मैंने
उम्मीदों का दीया जला लिया।
हर्षित सफर की राह पर
अपने कदमों को बढ़ा दिया।
छलनी हुआ था हृदय मेरा जिनसे
उन यादों को मन देहरी से उतार दिया।
अवहेलनाओं के जालों को मैंने
झाड़न फेरकर साफ कर दिया।
उदित अरुण संग मन में भी
रश्मियों का प्रकाश भर लिया।
पीड़ाओं के मैल को मैंने
उबटन की तरह उतार दिया।
गरिमा राकेश ‘गर्विता’
कोटा राजस्थान