ये दिल भी कितना नादान है
कैसे कैसे ख्वाहिशें पालता है
उम्र बचपन की हो या पचपन 
लहरा कर अपना आँचल
हर उम्र में उन्मुक्त परिंदों सा
अम्बर में उड़ान भरना चाहता है
कभी छत पर खड़े होकर
पंछियों से बातें करना चाहता है
कभी नदियों की हिलोर संग
मस्तियाँ करना चाहता है तो 
कभी चाँद तारों से बातें करना
भूल जाना चाहता है हर गम
वक़्त से आगे निकलना चाहता है
 क्योंकि वक़्त रेत की तरह
  हाथों से फिसलती जा रही है 
  वक़्त से कुछ  हसीं लम्हों की तस्वीर
  अपनी पलकों पर कैद करने चाहता है
                                     नेहा शर्मा
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

<p><img class="aligncenter wp-image-5046" src="https://rashmirathi.in/wp-content/uploads/2024/04/20240407_145205-150x150.png" alt="" width="107" height="107" /></p>