इस विश्व विरासत की रक्षा करना।
हमारा धर्म है, हमारा कर्म है।।
यह नष्ट नहीं हो, विश्व विरासत।
सच इसको बचाना, हमारा फर्ज है।।
इस विश्व विरासत की————–।।
यह विश्व विरासत पहचान है, किसी देश की।
यह सम्पत्ति और एक शान है, किसी देश की।।
नहीं है सम्मान किसी देश का, इसके बिना।
नीलामी फिर इसकी करना, अच्छी नहीं बात है।।
इस विश्व विरासत की—————।।
यह विश्व विरासत इतिहास है,किसी देश का।
यह गाथा और एक गौरव है, किसी देश का।।
नहीं कोई हस्ती इसके बिना, किसी देश की।
रौनक इनकी मिटाना फिर, हमारे लिए एक शर्म है।।
इस विश्व विरासत की—————।।
लाल किला, कुतुबमीनार, या चाहे हो हवामहल।
सांची का स्तूप , जन्तर मन्तर, या चाहे हो ताजमहल।।
इनकी चमक और रंगत को , जिंदा बनाये रखना।
जिम्मेदारी और कर्त्तव्य है ,हमारी यह देशभक्ति है।
इस विश्व विरासत की—————-।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)