देखो हर बार की तरह फिर
एक साल इतिहास बना
और एक साल का हर दिन
नया आस विश्वास बना!!
त्राहि त्राहि हाय हाय में
गुजरे साल के दिन और मास!
कितना मुश्किल था राह कठिन था
कितनो ने खोए अपने खास!!
पीछे मुड़कर जीवन देखो तो
ठिठक जाता मन का हुलास !
तनिक समझाऊं जी को अपने
तो थोड़ी सी बंधती आस !!
झेला बहुत कुछ हमने
मन व्यथित वेदना का मेला
नासूर बना कोविड का रेला
देखा शवों का भी ठेला!!
किया जीत से प्यार सदा
हार को भी स्वीकार किया,
मानव ने अपने प्रयास से
उम्मीद की किरण जगा दिया!!
कितने भी कष्ट के पल आए
हंसने का मौका ढूंढ लिया
खट्टी मीठी यादों के संग
फिर एक साल गुजार दिया!!
नए साल ने नव वसंत का
जन जन को संदेश दिया!
नई चेतना, नई आस का
बीज मन में प्रस्फुटित किया !!
देखो हरबार की तरह इसबार भी ,
फिर एक साल इतिहास बना!
और एक साल का हर दिन,
नया आस विश्वास बना !!