हो गई मेरे जीवन की शाम तेरे इंतजार मे
बेरंग हो गए सब रंग तेरे इंतजार मे!
एक खूबसूरत सा ख्वाब बनके क्यूं आया,
हम होंगे दो जिस्म एक जान सपना क्यूं दिखाया!
अब फूल खिलते नही यहां ना पतझड मे ना बहार मे,
पत्थर सी शिला बनी बैठी हूं तेरे इंतजार मे!
अश्कों को कर लिया कैद,पलको के पिंजरो मे,
मुस्कराहट अब कभी ठहरती नही मेरे अधरो मे,
अब तो कोशिश मे हूं दुनिया को छोड़कर जाने की,
हल्की सी आहट दे जा अपने आने की,
ना आया तू तो मै रहूं ना रहूं ये आंखे खुली रहेंगी तेरे दीदार मे,
हो गई मेरे जीवन की शाम तेरे इंतजार मे!
श्वेता अरोड़ा