हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का घोषणा पत्र( अंतिम भाग) – 
हम हिंसा में विश्वास रखते हैं अपने आप में अंतिम लक्ष्य के रूप में नहीं बल्कि एक नेक परिणाम तक पहुंचाने के लिए अपनाए गए तौर तरीके के नाते। अहिंसा के पैरोकार और सावधानी के वकील यह बात तो मानते हैं कि हम अपने यकीन पर चलने और उसके लिए कष्ट सहने के लिए तैयार रहते हैं । तो क्या हमें इसलिए अपने साथियों की साझी मां की बलिवेदी पर कुर्बानियों की गिनतियां करानी पड़ेगी अंग्रेजी सरकार की जेलों की चारदीवारी के अंदर रुक कपा देने और दिल की धड़कन पकड़ने वाले कई दृश्य खेले जा चुके हैं। हमें हमारी आतंकवादी नीति के कारण कई बार सजाएँ हुए हैं। हमारा जवाब है कि क्रांतिकारियों का महा आतंकवाद नहीं होता तो भी हम यह विश्वास रखते हैं कि आतंकवाद के रास्ते ही क्रांति आ जाएगी पर इसमें कोई शक नहीं है कि क्रांतिकारी बिल्कुल दुरुस्त सोचते हैं कि अंग्रेजी सरकार का मुंह मोड़ने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करना ही कारगर तरीका है। अंग्रेजों की सरकार इसलिए चलती है क्योंकि वह सारे भारत को भयभीत करने में कामयाब हुए हैं। हम इस सरकार दहशत का किस तरह मुकाबला करें सिर्फ क्रांतिकारियों की ओर से मुकाबले की दहशत ही उनकी दहशत को रोकने में कामयाब हो सकती हैं। समाज में एक लाचारी की गहरी भावना फैली हुई है। एक खतरनाक मायूसी को कैसे दूर किया जाए सिर्फ कुर्बानी की रूह को जगा कर खोया आत्मविश्वास को जगाया जा सकता है। आतंकवाद का एक राष्ट्रीय पहलू भी है। इंग्लैंड के काफी शत्रु है जो हमारी ताकत के प्रदर्शन से हमारी सहायता करने को तैयार है यह भी एक बड़ा लाभ है।
भारत साम्राज्यवाद के जुए के नीचे पीस रहा है इसमें करोड़ों लोग आज अज्ञानता और गरीबी के शिकार हो रहे हैं। भारत की बहुत बड़ी जनसंख्या जो मजदूरों और किसानों की है उनको विदेशी दबाव एवं आर्थिक लूटने प्रस्तुत कर दिया है। भारत के मेहनतकश वर्ग की हालत आज बहुत गंभीर है। उसके सामने दौरा खतरा है विदेशी पूंजीवाद का एक तरफ से और दो भारतीय पूंजीवाद के धोखे भरे हमले का दूसरी तरफ से खतरा है । भारतीय पूंजीवाद विदेशी पूंजी के साथ रोजाना बहुत से गठजोड़ कर रहा है। कुछ राजनैतिक नेताओं का डोमिनियन का रूप स्वीकार करना भी हवा को इसी रुख को स्पष्ट करता है।
भारतीय पूंजीपति भारतीय लोगों को धोखा देकर विदेशी पूंजी पति से विश्वासघात की कीमत के रूप में सरकार में कुछ हिस्सा प्राप्त करना चाहता है। इसी कारण मेहनत कस के तमाम आशाएं अब सिर्फ समाजवाद पर टिकी है और सिर्फ यही पूर्ण स्वराज और सब भेदभाव खत्म करने में सहायक हो सकता है। देश का भविष्य नौजवानों के सहारे हैं वही धरती के बेटे हैं उनकी दुख सहने की तत्परता उनकी व्याख्या और लहराती कुर्बानी दर्शाती है कि भारत का भविष्य उनके हाथ में सुरक्षित है। एक अनुभूति में घड़ी में देश बंधु दास ने कहा था नौजवान भारत माता की शान एवं आशाएं हैं। आंदोलन के पीछे उनकी प्रेरणा है उनकी कुर्बानी और उनकी जीत है। आजादी की राह पर मसाले लेकर चलने वाले यही है। मुक्ति की राह पर यह तीर्थ यात्री हैं।
भारतीय रिपब्लिक के नौजवानों नहीं सिपाहियों कतार पद हो जाओ। आराम के साथ ना खड़े रहो और ना ही निरर्थक कदम लाल किए जाओ। लंबी दरिद्रता को जो तुम्हें नकारा कर रही है सदा के लिए उतार फेंको। तुम्हारा बहुत ही नेक मिशन है देश के हर कोने और हर दिशा में बिखर जाओ और भावी क्रांति के लिए जिसका आना निश्चित है लोगों को तैयार करो। फर्ज के बिगुल की आवाज सुनो। वैसे ही खाली जिंदगी ना गवाओ। बढ़ो तुम्हारी जिंदगी का हर पल इस तरह के तरीके और तरतीब ढूंढने में लगना चाहिए कि कैसे अपनी पुरातन धरती की आंखों में ज्वाला जागे और एक लंबी अंगड़ाई लेकर जागे। अंग्रेज साम्राज्य के खिलाफ नवयुवकों के हृदय में एक उत्साह और नफरत भर दो ऐसे बीज डालो जो कि और बड़े वृक्ष बन जाए क्योंकि इन वृक्षों को तुम अपने गर्म खून के जल से सिंचोगे। तब एक भयानक भूचाल आएगा जो बड़े धमाके से गलत चीजों को नष्ट कर देगा और साम्राज्यवाद के महल को कुचलकर धूल में मिला देगा और यह तबाही महान होगी।
तब और सिर्फ तभी एक भारतीय कौन जागेगी जो अपने गुणों और शान से इंसानियत को हैरान कर देगी जब चालाक और बलवान सदा से कमजोर लोगों से हैरान रह जाएंगे। सभी व्यक्तिगत मुक्ति भी सुरक्षित होगी और मेहनतकश की सरदारी और प्रभुसत्ता को सत्कार आ जाएगा। हम ऐसे ही क्रांति के आने का संदेश दे रहे हैं । क्रांति अमर रहे! 
                                –  करतार सिंह
                                  अध्यक्ष
क्रमशः
गौरी तिवारी 
भागलपुर बिहार
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