एसेंबली हॉल में फेंका गया पर्चा 
8 अप्रैल सन् 1929 को असेंबली में बम फेंकने के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा बांटे गए अंग्रेजी पर्चे का हिंदी अनुवाद।
‘ हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक सेना’  सूचना
“बहरों को सुनाने के लिए बहुत ऊंची आवाज की आवश्यकता होती है”  ।प्रसिद्ध फ्रांसीसी अराजकतावादी शहीद वैलियां के यह अमर शब्द हमारे काम के औचित्य के साक्षी हैं।
पिछले 10 वर्षों में ब्रिटिश सरकार ने शासन सुधार के नाम पर इस देश का जो अपमान किया है उसकी कहानी दोहराने की आवश्यकता नहीं और न ही हिंदुस्तानी पार्लियामेंट पुकारी जाने वाली इस सभा ने भारतीय राष्ट्र के सिर पर पत्थर फेंक कर उसका जो अपमान किया है, उसके उदाहरणों को याद दिलाने की आवश्यकता है। यह सब सर्वविदित और स्पष्ट हैं। आज फिर जब लोग ‘साइमन कमीशन’ से कुछ सुधारकों के टुकड़ों की आशा में आंखें फैलाए हैं और इन टुकड़ों के लोभ  में आपस में झगड़ रहे हैं, विदेशी सरकार ‘ ‘ ‘सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक’ (पब्लिक सेफ्टी बिल) और ‘औद्योगिक विवाद विधेयक’ ( टेडस डिसप्यटस बिल ) के रूप में अपने दमन को और भी खड़ा कर लेने का यत्न कर रही है। इसके साथ ही आने वाले अधिवेशन में अखबारों द्वारा राजद्रोह रोकने का कानून (प्रेस सेडिशन एक्ट )जनता पर कसने की भी धमकी दी जा रही है। सार्वजनिक काम करने वाले मजदूर नेताओं के अंधाधुन गिरफ्तारियां यह स्पष्ट कर देती है कि सरकार किस रवैये पर चल रही है।
राष्ट्रीय दमन और अपमान की इस उत्तेजना पूर्ण परिस्थिति में अपने उत्तरदायित्व की गंभीरता को महसूस कर ‘हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ ‘ ने अपनी सेना को यह कदम उठाने की आज्ञा दी है। इस कार्य का प्रयोजन है कि कानून का यह अपमानजनक प्रहसन समाप्त कर दिया जाए।विदेशी शोषक नौकरशाही जो चाहे करें परंतु उसकी वैधानिकता की नकाब भाग देना आवश्यक है।
जनता के प्रतिनिधियों से हमारा आग्रह है कि वह इस पार्लियामेंट के पाखंड को छोड़कर अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों को लौट जाएं और जनता को विदेशी दमन और शोषण के विरुद्ध क्रांति के लिए तैयार करें हम विदेशी सरकार को यह बतला देना चाहते हैं कि हम ‘सार्वजनिक सुरक्षा’ और ‘औद्योगिक विवाद ‘के दमनकारी कानूनों और लाला लाजपत राय की हत्या के विरोध में देश की जनता की ओर से यह कदम उठा रहे हैं। 
हम मनुष्य के जीवन को पवित्र समझते हैं। हम ऐसे उज्जवल भविष्य में विश्वास रखते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण शांति और स्वतंत्रता का अवसर मिल सके। हम इंसान का खून बहाने की अपनी विवशता पर दुखी हैं ।परंतु क्रांति द्वारा शव को सम्मान स्वतंत्रता देने और मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण को समाप्त कर देने के लिए क्रांति में कुछ ना कुछ रक्तपात अनिवार्य है। 
इंकलाब जिंदाबाद!
ह. बलराज 
कमांडर इन चीफ 
क्रमशः
गौरी तिवारी 
भागलपुर बिहार
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