गतांक से आगे
रवि के मन पर उन दोनों घटनाओं का बहुत अधिक असर हुआ था । पहले तो बेला ने जो षड़यंत्र किया था उससे वह सहम गया था । बाद में शीला चाची को सरसों के खेत में यूं उस हालत में देखना और फिर बिहारी का जेल में जाना उसे अंदर तक हिला गया । वो समझ ही नहीं पाया कि आखिर सत्य क्या है ? वह जो उसने खेत में देखा था या वह जिसके कारण बिहारी जेल गया था ? क्या ऐसे सत्य कभी बाहर आ पाते हैं ?
सोचते सोचते रवि का घर आ गया । घर पर मृदुला ने बताया कि बद्रीनारायण मामाजी और सलोनी मामीजी आये हैं । रवि को बहुत खुशी हुई यह सुनकर । कितने दिनों से उनसे मिलना नहीं हुआ था उसका । कामकाज की व्यस्तता के कारण वह कहीं जा ही नहीं पाया था बहुत दिनों से । वह तुरंत ड्राइंग रूम में आ गया । वहां पर मामाजी, मामीजी, उनका पोता अभिषेक बैठे हुये थे । रवि ने मामाजी, मामीजी के पैर छुए तो बद्रीनारायण जी ने टोक दिया । “अरे ये क्या कर रहे हो ? इतने बड़े आदमी हो गये हो , अब पैर छूते अच्छे नहीं लगते” ।
“मामाजी, मैं चाहे कितना भी बड़ा हो जाऊंगा, पर आपके लिये तो भानजा ही रहूँगा ना । आप मेरे मामाजी, मामीजी ही रहेंगे । इस रिश्ते से बड़ा कोई भी पद कैसे हो सकता है” ? रवि ने उनके पास बैठते हुये कहा ।
“तुम्हारी इन्हीं बातों से तो सब तुम्हारे कायल हैं रवि । तुम एक आदर्श व्यक्ति हो । आज के जमाने में भी बड़ों को सम्मान देते हो । सबका ध्यान रखते हो । कौन करता है आजकल यह सब ? सब मतलब के लिए रिश्ते रखते हैं । मतलब निकलने के बाद कोई नहीं पूछता है । यहां तक कि औलाद भी धोखा दे जाती है” । रवि की बातों से खुश होते हुए बद्रीनारायण जी बोले ।
“समय बदल रहा है मामाजी मगर रिश्ते थोड़ी ना बदलते हैं । खैर , छोड़ो ये सब बातें । ये बताओ कि गांव में कैसे हैं सब ? खेती बाड़ी कैसी है ? यहां कैसे आना हुआ” ?
“सब आनंद हैं । ईश्वर की कृपा है । खूब मौज बहार है गांव में । सरसों और गेंहू की फसल बहुत बढिया है अभी तो । आगे रामजी की इच्छा । आंधी तूफान नहीं आये तो खूब मौज हो जायेगी । अभिषेक का चयन आई आई टी दिल्ली में कंप्यूटर साइंस में हुआ है । उसके एडमिशन के लिए आये हैं । रामौतार (बेटा) और राधा (बहू) भी आये हैं । वे अभी पास में ही पार्क में चले गये हैं । थोड़ी देर में आते ही होंगे” ।
“अरे वाह, ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाई आपने, मामाजी । अभिषेक ने तो पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है । ग्रामीण पृष्ठभूमि से होकर भी आई आई टी दिल्ली में कंप्यूटर साइंस मिलना बहुत बड़ी बात है, मामाजी । गजब । वाह अभिषेक वाह । कमाल कर दिया ” । और रवि ने अभिषेक का सिर प्यार से थपथपाया । अभिषेक ने भी रवि के पैर छूकर अपने संस्कारों का परिचय दिया ।
रात्रि में सब लोग डिनर लेकर अपने अपने कमरे में सोने चले गये । रवि की आंखों से नींद कोसों दूर थी । मामीजी के आने से दिमाग में पुरानी स्मृतियां उभरने लगीं थीं ।
छोटे मामाजी की शादी थी तब वह दसवीं कक्षा में आ गया था । हलकी हलकी दाढ़ी मूंछें आ गयी थी उसके चेहरे पर । लंबाई भी खूब हो गयी थी । पांच फुट नौ इंच का हो गया था वह तब तक और लंबाई अभी बढ़ती ही जा रही थी । स्मार्ट तो था ही वह, लंबे बाल खूब फबते थे उसके ऊपर । स्कूल में सबके आकर्षण का केंद्र था वह ।
शादी में दो तीन दिन पहले ही आ गया था वह । तब तक कुछ और भी लोग आ गये थे वहां शादी में । घर में खूब चहल पहल मची हुई थी । मामीजी घनचकरी की तरह घूम रही थी । कभी यहां कभी वहां । फुर्सत नहीं थी उन्हें । आखिर देवर की शादी थी तो घर की सारी जिम्मेदारी उन्हीं पर आ गयी थीं । रवि भी यथायोग्य मदद कर रहा था । मेहमानों को पानी पिलाना, चाय नाश्ता करवाना, खाना परोसना आदि काम कर रहा था ।
सर्दियों के दिन थे । रवि को ठंड लग गई थी । एक गोली लेकर एक कमरे में जाकर लाइट बंद करके दरवाजे औढ़ाकर रजाई में घुस गया था वह । अच्छी नींद आ जाये तो थोड़ा आराम आ जाये । इसलिए वह चुपचाप लेट गया था ।
अभी वह लेटा हुआ ही था और नींद भी नहीं आई थी उसे कि अचानक एक व्यक्ति दबे पांव उसके कमरे में घुसा । उसके पीछे पीछे एक और आकृति उस कमरे में घुसी । रवि को बड़ा आश्चर्य हुआ । कौन हो सकते हैं ये दोनों ? क्या कोई चोर हैं ? वह चुपचाप उनकी कारस्तानी देखने लगा । बिस्तरों में ही दम साधे लेटा रहा । लाइट बंद थी इसलिए चेहरे दिखाई नहीं दे रहे थे बस आकृतियां हैं दिखाई दे रही थीं । रवि ने दम साधते हुये उन्हें देखा । ऐसा लगा जैसे दोनों एक दूसरे में गुंथे हुये हैं । ये दोनों चोर तो नहीं हो सकते हैं । ये कर क्या रहे हैं ? उसने गौर से देखा । शायद ‘किस’ कर रहे थे दोनों । कमरे में चूमा चाटी की आवाजें गूंजने लगी । बहुत अधिक समय तक यदि अंधेरे में रहा जाये तो आंखें अंधेरे की अभ्यस्त हो जाती हैं । रवि की आंखें भी अंधेरे की अभ्यस्त हो चुकी थी इसलिए उसे अब साफ साफ दिख रहा था जो कुछ सामने चल रहा था ।
रवि ने देखा कि एक आकृति दूसरी आकृति को बेतहाशा चूम रही है । दूसरी आकृति ने भी पहली आकृति को अपनी बांहों में कस रखा है । दूसरी आकृति पहली आकृति के गाल, होठ, बाल , गर्दन को लगातार चूमे जा रही है और पहली आकृति पर हाथ घुमा रही है । दूसरी आकृति ने पहली आकृति के कपड़े हटाने चाहे तो पहली आकृति ने उसे टोका और फुसफुसा कर कहा
“ये क्या कर रहे हैं आप ? कुछ होश है भी या नहीं ? अगर कोई आ गया तो आपका तो कुछ नहीं बिगड़ेगा मेरा कबाड़ा हो जायेगा” । यह किसी लड़की की आवाज थी ।
“कुछ नहीं होगा जानेमन । इतना क्यों घबराती हो ? इन प्यारे प्यारे ‘कबूतरों’ के दर्शन तो करा दो । बहुत फड़फड़ा रहे हैं ये” । एक पुरुष आवाज ने बहुत धीमे धीमे कहा ।
“हट बदमाश । ये भी कोई जगह है यह सब करने की । शादी का माहौल है घर में । कभी भी कोई भी आ सकता है अचानक से । वहां तो कह रहे थे कि बस एक किस करूंगा और यहां आकर बेईमानी शुरू कर दी” । लड़की ने उलाहना देते हुये कहा ।
“तुम हो ही इतनी हॉट कि मन वश में नहीं रहता है मेरा । मैं जब भी तुम्हारे इन फड़फड़ाते कबूतरों को देखता हूँ तो मैं पागल सा हो जाता हूँ । अब जल्दी से दर्शन करा दो ना इनके । देखो ना, आंखें कबसे तरस रही हैं” ?
इससे पहले की वह लड़का कुछ करता , लड़की उस लड़के को हल्का सा धक्का देकर बाहर भाग गई । दरवाजा खोलकर जाते समय बाहर बरामदे की लाइट से रवि ने देखा था कि उस लड़की ने पिंक कलर का सूट पहन रखा था । उस लड़की के पीछे पीछे वह लड़का भी बाहर आ गया । लाइट में उसके पैंट का रंग काला दिखाई दिया था ।
रवि के होठों पर मुस्कान खेल गयी । तो यहां पर “प्रेम लीला” चल रही थी । आज तो धन्य हो गया था रवि । उसने तो ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था । ईश्वर भी क्या क्या दृश्य दिखलाता है । मुस्कुरा कर वह बिस्तर से उठा और एकदम से लाइट जला दी । उसने देखा कि वहां पर एक दुपट्टा गिरा पड़ा था । उसने तुरंत वह दुपट्टा उठाया और अपनी जेब में डाल लिया । फिर वापस बिस्तर में आकर वह लेट गया ।
थोड़ी देर बाद अचानक उसके कमरे में कोई आया और कुछ ढ़ूंढने लगा । रवि समझ गया था कि यह वही लड़की होगी जिसका दुपट्टा यहां गिर पड़ा था । उसने थोड़ी देर इधर उधर देखा मगर जब उसे वह दुपट्टा नहीं मिला तो वह चली गयी थी ।
शेष अगले अंक में
हरिशंकर गोयल “हरि”