गीत

शेर

आज सत्य कहना बिष के समान है।

सत्य कहने बाले का नहीं मान है।

लगती है बंदिशें मिलता अपमान है।

फिर तो उसे रात दिन लगते समान है।

तर्ज

लाल दुपट्टा उड़ ……..

दोगली नीति सरकारों की, जनता न जाने।

इधर किसान तो उधर जवान बचाते हैं जाने।

जो हालत है किसानों की।

वही अपने जवानों की।

1 आजादी के बाद आज तक, आजादी न पाई ।

दीन हीन हालत किसान की,अब तक सुधर न पाई।

तेरह लगा के तीन कमाते, राजनीति का फेरा।

व्यापारी न करें किसानी ,करते तीन के तेरा।

सेनिक बनता वो सुत किसान।

सैनिक ही बचाता आन बान।

राजनीति की बलि चढ़ रहे, आज ही ये दोनो।

होगा देश गुलाम दुबारा, मिट्टी बनै सोना ।

है दुनिया बेईमानों की ।0……..

जो हालत है किसानों की

2 खाद बीज न मिले समय पर , मंहगाई है रुलती।

फसल के उचित दाम न मिलते, सभी कर्ज में जाती।

पुत्र किसानों के सेना में ,सबकी आन बचाते।

पुलवामा तो कभी उड़ी गलवान में,जान गमाते।

सैनिक न नेता पुत्र बनै।

सेना तो है लोहे के चनै।

पुत्र शोक कैसा होता है, नेता क्या जाने।

जाके पैर न फटी बिवाई,पराई पीर वो क्या जाने।

चलती है अब शैतानों की…0..जो हालत है

3 तीन काले कानून किसानों के जब बन गए काल थे।

तीन सौ चोरासी दिन सड़कों पर, काटे जो विकराल थे।

मेहनत करते रोज रात दिन,सबकी भूख मिटाते।

छोड़ गये संसार आठ सौ,काल के गाल समाये।

अश्रुगैस के गोले किसानों ने ,छाती परखाये।

व्यापार चीन से है, जारी।

चीनी सेना से है रारी।

ग़लत नीति सरकारों की न मीडिया वतलाती।

मंहगाई बेरोजगारी भूल कर ,भय वश गुण गातबुरी गति

नौजवानो की 0……… जो हालत है किसानों की

4 अग्निवीर नई योजना, ये सेना में लाये।

चार वर्ष की सेवा करके, पेंशन भी न पाये।

पांच साल तक रह नेताजी, आजीवन पेंशन पाते।

पर सैनिक कुछ भी न पाते,जो अपने प्राण गंवाते।

मन में हर पल रहती टेंशन,क्यों कर्मचारी को न पेंशन।

करके लूट खसोट देश के,बाहर कुछ भाग जातें।

केवल राम भरोसे भारत, के नेता हरषाते।

मजा है, बेईमानों की 0…….

बलराम यादव देवरा छतरपुर

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