है अगर तू चाहता होना सफल इस जिंदगी में,
कर अथक प्रयास, रख विश्वास उसकी बंदगी में,
सोच मत कि चार लोग देख तुझको क्या कहेंगे,
भूल मत खिलता कमल है खूबसूरती से गंदगी में,
रुकना न कहीं राह में, कमजोर खुद को जानकर…
आगे बढ़ाता चल कदम तू लक्ष्य अपना ठान कर।
राहें अनिश्चित हैं मगर निश्चित तू अपना लक्ष्य रख,
कंटक भरे राहों पर स्वयं को पाषाण के समकक्ष रख,
देखना मंजिल भी तेरी तुझे फिर पास आएगी नजर,
कामयाबी के सम्मुख तू निज आस्था का पक्ष रख,
टूटने लगे जब हौंसला, मां-बाप का तू ध्यान कर…
आगे बढ़ाता चल कदम तू लक्ष्य अपना ठान कर।
राह में तुझको मिलेंगे सहसा लोग कुछ अपने लगेंगे,
साथ उनका पाने को मन में तेरे नये सपने सजेंगे,
मतलब निकल जाने पर तुझको तन्हा वही फिर छोड़ देंगे,
टूट जाएगा तू तेरे सपने सभी बिखरने लगेंगे,
कलयुगी दुनिया है प्यारे, न हो भ्रमित, निज कार्य कर…
आगे बढ़ाता चल कदम तू लक्ष्य अपना ठान कर।
गैरों से नहीं अपनों से भी तुझको बहुत लड़ना पड़ेगा,
रातों को आधी जागकर तुझको अथाह पढ़ना पड़ेगा,
श्रम के बगैर होती नहीं हासिल सफलता कभी,
कठिनाइयों के गिरि मिलें तो साहसी बन चढ़ना पड़ेगा,
अक्षम नहीं सक्षम है तू, अपने हुनर की पहचान कर…
आगे बढ़ाता चल कदम तू लक्ष्य अपना ठान कर।
करते हैं जो प्रयास निरंतर कभी असफल नहीं होते,
निद्रा में ख्वाब देखने से ख्वाब मुकम्मल नहीं होते,
कामयाबी की राह पर हार भी बहुधा मिलेगी,
कह गए विद्वान कि प्रयास पूर्णतः विफल नहीं होते,
चिंतित न हो हारकर, अनुभव को स्वीकार कर…
आगे बढ़ाता चल कदम तू लक्ष्य अपना ठान कर।
देखना एक दिन आएगा जब तू कामयाब हो जाएगा,
जो तंज कसता था कभी तेरे सम्मान में सिर झुकाएगा,
विश्वास रख ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं,
खुशियां मिलेंगी जीवन में जब, तू समस्त दुःख बिसराएगा,
जीवन में दे स्नेह छोटों को, बड़ों का तू सम्मान कर…
आगे बढ़ाता चल कदम तू लक्ष्य अपना ठान कर।
लेखिका – रचना राठौर ✍️
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