उदास ताहिर पढ के मेरी
मेरे सनम मुस्कुरा ना देना
ये आखिरी खत लिख रहा हूँ
ख्याल करना जला ना देना
तडपा रहे हैं तुम्हारे किस्से
बिचार के हम को रूला ना देना
हकीकत को जरूर लिखना
अना की खातिर छुपा ना देना
कोई जो पूछे किधर गए वो
किसी बसर को बता ना देना
मै मर भी गया तो मुस्कुराना
अहसास ए गम की ना चोट खाना
लहू से ताहिर कर रहा हूँ
मैं अपनी सारी कहानी
दो पहर भी तो पास रखना
हवा में तेरे उड़ा ना देना
रंजना झा