सुन मांँ,
आज लिखने को एक ख़त 
दिल बड़ा बेचैन है ,,,
आई ख़बर सरहद पर देश की
घात लगाए बैठा दुश्मन है,,,
रोज़ सुबह सिमरन प्रभु का
शाम को यादों में मुलाकात है,,
गर्मी सर्दी बरसात की कोई फिक्र
हर मौसम अपने लिए ख़ास है,,,
ख्वाब देख बहुत तेरे बेटे ने भी
बेरंग , रंगीले ख्वाबों के अहसास
बुलाती है मुझको भी वहीं अपने पास
आना चाहता हूं छोड़ कर यह वीरानी
फ़र्ज़ रोक लेता है हर बार यहीं,,,,
हो जाए चैन ओ अमन चारों तरफ़
जान मेरी चली जाए कल या परसों
और कितने ही बेटे तैयार है ,,
दुख़ किसी बात का मनाना मत मां
लिख रहा हूं ख़त याद तुझे कर
सीने से लगा फ़िर सुला देना 
आऊ चाहे पैरों पर या अर्थी पर
गर्व से माथा चूम सहला देना मां ,,,,,
© रेणु सिंह राधे 
कोटा राजस्थान
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