अहसास दर्द का तो, तब ही होता है।
जब जख्म कोई ,अपने दिल पर होता है।।
अहसास दर्द का तो————–।।
औरों की बदहाली पर ,हम क्यों हंसते हैं।
हकीकत अपनी क्यों, छुपाकर रखते हैं।।
बेपर्दा सच अपना, जब यहाँ होता है ।
अहसास अपनी बदनामी का , तब ही होता है।।
अहसास दर्द का तो————–।।
किसी की राह में कांटें , हम क्यों बिछाते हैं।
रोशन किसी की चिराग, हम क्यों बुझाते हैं।।
अंधेरा जब अपनी , राह में होता है।
अहसास अपनी बर्बादी का, तब ही होता है।।
अहसास दर्द का तो————–।।
जिसको जो पसंद है , उसको वह करने दो।
अपनी तरह आबाद-खुश, सबको रहने दो।।
अपना वक़्त जब कभी , खराब आता है।
अहसास अपनी हस्ती का, तब ही होता है।।
अहसास दर्द का तो ——————-।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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