आज के चित्र को देखकर दो बातें दिल में उतर गई हैं..। 
पहली तो हमारी प्यारी गौरैया… जो विलुप्त होने की कगार पर हैं..। मोबाइल रेडिएशन का सबसे बड़ा भुगतान इन मासूम सी दिखने वाली प्यारी गौरैया को ही करना पड़ा हैं..। हमारे यहाँ के एरिया में तो ये लगभग खत्म ही हो गई हैं..। एक समय था जब सुबह की शुरुआत ही इनकी चीं चीं की आवाज से होतीं थी.. पर आज देखने को भी नहीं मिलती..। सच में ये पक्षी और जानवर हम इंसानों की हर जरूरत को पूरा करने के लिए कितना कुछ करते हैं.. लेकिन हम अपने स्वार्थ में इनको सिर्फ तकलीफ ही देते हैं..। 
दूसरी बात जो इस चित्र में दिखाई देतीं हैं… वो हैं एक बुंद पानी की अहमियत..। 
ये बात हम नहीं समझ सकते… क्योंकि हमें तो आदत हैं हर चीज़ का अपव्यय करने की..। 
पानी की किमत इन मासूम पक्षियों से सीखनी चाहिए… जो एक एक टपकती बुंद से अपनी प्यास बुझा रहें हैं..। 
रेगिस्तान में रहने वाले… गाँव में रहने वाले.. कच्ची बस्तियों में रहने वाले… उन सभी लोगों से पुछनी चाहिए जो एक वक्त के पानी के लिए कितनी जद्दोजहद करते हैं..। 
लेकिन हम बहुत बार इन सब बातों को अनदेखा कर देते हैं..। 
पक्षी हो…या पानी… दोनों ही हमारे लिए… बेहद जरुरी हैं..। हमें पानी का संरक्षण करना चाहिए… और जितनी जरुरत हो उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए..। वरना आने वाले समय में हम बहुत परेशानी से गुजर सकते हैं..। 
किसी बेजुबान पक्षी को भी जहाँ तक मुनासिब हो सकें मदद करनी चाहिए..। 
उनका भी संरक्षण बेहद जरुरी हैं..। 
चहचहाते पक्षीयों से होने वाली सुबह…. हमारे दिल को भी सुकून देती हैं.. हमारे मन को लुभाती हैं..। 
जय श्री राम…।
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