शोहरत की चकाचौंध रातों रात काजल स्टार बन गई,मायानगरी में उसकी किस्मत पहली फिल्म के हिट होते ही बुलंदी को छूने लगी।
कैमरा ,लाइट ,विज्ञापन कंपनियों,फिल्म प्रोड्यूसरों की लाइन उसके घर तक लगने लगी ।हर कोई उसके साथ काम करने को लालायित था।
छोटे शहर इंदौर की मिस इंदौर काजल का सपना था ,बॉलीवुड ।अंदर से स्याह बॉलीवुड की दुनिया युवाओं का सपना होती है ।
काजल एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखती थी ,उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोई रोक टोंक नहीं थी।आखिर मिस इंदौर के बाद उसने मायानगरी का रुख किया।
और किस्मत ने साथ दिया ,बड़े डायरेक्टर को अपनी नई फिल्म के लिए नए चेहरे की तलाश थी ,काजल ने इंटरव्यू दिया और वो चुन ली गई।
फिल्म ने थिएटर में रिलीज होते ही ,पहले दिन ही रिकॉर्ड तोड कमाई की।
पैसे ,शोहरत की अब कमी नहीं थी ,धीरे धीरे सफलता सर चढ़ कर बोलने लगी,ड्रग्स,और गलत संगति ने काजल को अंधेरे गर्त की ओर धकेल दिया।
रात भर पार्टी ,और सुबह दिन चढ़े तक सोना ।जिससे निर्माता ,निर्देशक कन्नी काटने लगे।काम की कमी से कर्ज का बोझ बढ़ने लगा।
दोस्त दूर होते गए,लेनदारों की धमकियां , गाली गलौज आए दिन सुनने को मिलता।
जब तक काजल को होश आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी ,अब उसे काम मिलना बंद हो गया।
वह जहां भी काम मांगने जाती निराशा ही हाथ लगती,आलीशान फ्लैट से अब वो एक कमरे के मकान में रहने को मजबूर हो गई।
अपने शोहरत की दिनों में उसने माता पिता को अपने व्यवहार से दुखी किया था इसलिए उन्होंने भी उसकी खोज खबर नहीं ली।
धीरे धीरे काजल ने खुद को कमरे में ही समेट लिया ,घंटों अपने सुनहरे दिनों के चित्र देखा करती ।नींद नहीं आती थी,रात रात जागती ,जाने क्या खिड़की के बाहर निहारती।
आखिर एक दिन उसने खुदकुशी कर ली।
अगल बगल वालों को तब पता चला, जब आस पास दुर्गंध फैलने लगी।कमरा तोड़ा गया तो महीने भर पहले काजल की लाश पंखे से झूलती मिली।
ये एक अल्टीमेटम है आज के दौर में।
आज की भाग दौड़ की जिंदगी में अवसाद एक आम बीमारी में शुमार है ,करीब 80% लोग किसी न किसी प्रकार तनाव से ग्रस्त हैं।
किसी न किसी प्रकार का तनाव हर किसी को है ,विद्यार्थी को नौकरी ,रिजल्ट की टेंशन ,व्यस्कों में काम को लेकर तनाव ,परिवारिक तनाव ,इसमें शरीर से कुछ हार्मोन प्रभावित होते हैं उनका स्राव कम या ज्यादा होता है।
ऐसी में स्थिति को भयानक रूप लेने से पहले मनोचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए।
अवसाद की अवस्था में व्यक्ति बहुत उदास रहता है ,नींद नहीं आती ,भूख कम लगने लगती है,बार बार खुदकुशी का ख्याल आता है।
इससे बचने के लिए जरूरी है ,एक अच्छी जीवनशैली की,योग ,ध्यान ,लोगों के साथ अपने दुख दर्द बांटने की।
समाप्त
संगीता सिंह