अलगाव तुम्हारा, एक कहर बरपाएगा्,
मासूमों की जिंदगी में जहर फैलाएगा।
मैं सेर तो तू सवा सेर पर नहीं चलते घर कभी,
गर झुक गया एक तो कौन सा आसमां टूट जाएगा।
मगरुरी में गर रिश्तो की कदर ना हो ,
तो गुरूर तुम्हारा तुम्हें ही डुबोता जाएगा।
अगर रहना ना था साथ ,तो पैदा क्यों की औलाद,
मासूमों को फना करने को, क्या गैरों के हवाले कर जाएगा।
और कितने ख्वाब होते हैं जुड़े, फक्त एक घर से ‘सीमा ‘
एक मासूम बताओ ,नए मां-बाप कहां से लाएगा।
स्वरचितसीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा