था तो वो अजनबी लेकिन था अपना सा,

खून के रिश्ते से भी गहरा रिश्ता था
बिन बोले बाते समझता था
खुशी में खुश दुख में भी साथ देता था
अब तो बस यादें रह गई है
आज भी यादों में ताजे फूल की
खुशबू सा लगता
था तो वो अजनबी लेकिन था अपना सा……..।
                            ऋचा कर्ण ✍️✍️✍️
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *