हे माता अन्नपूर्णा।
कोई तुझे मद में त्यागे।
कोई तेरे पीछे भागे।
कोई तुझे कूड़े में डाले।
तेरे बिन बिगड़े किसी की चालें।
आसान नहीं तुझे उपजाना।
फिर भी तेरा कद्र है समझाना।
फेंकते तुझे जो ले ले डकार।
समझे नहीं शायद भूख के प्रकार।
कैसे कहूं कि तू उड़ के चली जा।
बेबस की थाली में सजी भली जा।
हे माता अन्नपूर्णा।
चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण।