एक परिवार का अन्नदाता होता हैं…. घर का मुखिया जो परिवार के सभी लोगों को अन्न मुहैया करवाने के लिए दिन रात मेहनत करता हैं…।
एक समाज का अन्नदाता होता हैं एक किसान….।
अगर वो अन्न भोएगा ही नहीं तो हमारी पुर्ति कैसे हो पाएगी…।
और इस पुरे संसार का अन्नदाता अगर कोई हैं तो वो हैं… ईश्वर…।
उसके बिना किसी भी चीज़ का कोई औचित्य ही नहीं हैं..।
इसलिए हमें अपने जीवन में इन तीनों को सम्मान…. आदर और महत्व देना चाहिए..।
एक परिवार का भरणपोषण करने वाला पिता या जो भी व्यक्ति आजीविका करता हैं वो… परिवार के लिए बहुत परिश्रम करता हैं… कभी उनका अपमान नहीं करना चाहिए..।
एक किसान….दिन रात मेहनत करता है ताकि हमारे घरों में अनाज की कोई कमी ना हो…। हमारे देश के विकास में किसान बहुत ही सहायक शख्स होता हैं…. इसलिए उनके परिश्रम को हमेशा महत्व देना चाहिए..।
और इन पुरे संसार को…. अगर कोई चला रहा हैं तो वो हैं…. भगवान….ईश्वर….अल्लाह…. खुदा…. इसलिए हर पल अन्न ग्रहण करते वक्त उनका शुक्रिया जरूर अदा करना चाहिए… की उन्होंने आपको ये जीवन दिया…।
ये तो हुई अन्नदाता की बात…. लेकिन इस लेख के माध्यम से एक बात और कहना चाहेंगे…. की कभी भी अन्न का अपमान ना करे…. अन्न को बर्बाद ना करे…।
उतना ही परोसे थाली में….
कि व्यर्थ ना जाएं नाली में…।
अन्नदाता और अन्न का हमेशा सम्मान करें…. ।।।