अंदाज अपना क्यों बदलूँ , मैं इन हुर्रों के लिए। मैं वेश अपना क्यों बदलूँ , इन हसीन चेहरों के लिए।। अंदाज अपना क्यों बदलूँ ——————————।।
कोई नहीं ऐसा काम मेरा, इनके बिना जो हो नहीं सके। मजबूरी मेरी ऐसी नहीं कि, इनके बिना दीप जल नहीं सके।। अकेला हूँ तो क्या हुआ, तड़पता नहीं दिल हुर्रों के लिए। अंदाज अपना क्यों बदलूँ ——————————–।।
ये चेहरे जो दिखते हैं सुंदर, दिल से इतने सुंदर नहीं है। बड़े बेदर्दी- संगदिल है जो, वफ़ा किसी निभाते नहीं है।। बर्बाद मैं क्यों खुद को करूँ, इन बेवफा दिलों के लिए। अंदाज अपना क्यों बदलूँ ——————————।।
मैं क्यों करूँ पूजा इनकी, क्यों फूल मैं इनपे चढ़ाऊँ। ये सब अमीरों के है बनाये, क्यों दिल मैं इनसे लगाऊँ।। क्यों वक़्त अपना बर्बाद करूँ, इन तस्वीरों- मूरतों के लिए। अंदाज अपना क्यों बदलूँ ——————————-।।
गुलामी किसी की होती नहीं, नाम मेरा जी आज़ाद है। मैं नहीं हूँ इनसे कम धनी, यह मेरा चमन भी आबाद है।। क्यों सिर अपना मैं झुकाऊँ, मग़रूर इन हुर्रों के लिए। अंदाज अपना क्यों बदलूँ ——————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
एक शिक्षक एवं साहित्यकार(तहसील एवं जिला- बारां, राजस्थान)
पोस्टेड स्कूल- राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नांदिया, तहसील- पिण्डवाड़ा, जिला- सिरोही(राजस्थान)
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