आज फिर वैसी ही तेज बारिश हो रही थी, ऋद्धि अपने कमरे की खिड़की से बारिश में भीगते हुए लॉन में लगे हुए बेला, गुलाब,मोगरा, हरसिंगार के झूमते फूलों को निहार रही थी, कैसे उन्मुक्त होकर झूम रहे थे जैसे बारिश का खुश होकर स्वागत कर रहे हो,। उसका भी मन कर रहा था कि वो बारिश में भीगे, आंखें बंद करके अपने दोनों हाथ फैलाकर बारिश की बूंदों को अपने चेहरे पर महसूस करे ,पूरे लॉन में गोल गोल घूमे , अपने दुपट्टे में फूलों को भर ले और उसका जेवर बनाकर पहन ले। कितनी पागल थी वो? कुछ भी सोचती है, जैसे वो सब पूरा हो जाएगा?
शायद कुछ सालों पहले अगर वो ये सब मांगती तो पूरा भी हो जाता पर आज तो ऐसा सोचना भी गुनाह है उसके लिए । ऋद्धि बारिश को देखकर हमेशा दीवानी हो जाती थी , बारिश उसकी कमजोरी थी और बारिश में भीगते हुए आइसक्रीम खाना उसकी आदत । लोग हंसते थे उसे देखकर ।
“बारिश के मौसम में आइसक्रीम? आर यू मैड ? ऋद्धि तुम क्या हो,लोग गर्मियो में आइसक्रीम खाते हैं और तुम्हें बारिश में आइसक्रीम चाहिए वो भी भीगते हुए । उसकी फ्रेंड विशी उसको डांटते हुए बोली।
“बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद?”तू ठहरी छुईमुई सी नाजुक लड़की , थोड़ी सा भीग जाए तो नाक सुडकने लगती है, तू क्या जाने भीगते हुए आइसक्रीम खाने में कितना मजा आता है, । ऋद्धि आइसक्रीम को चूमते हुए बोली ।
“तू तो आइसक्रीम को ऐसे चूम रही है जैसे ये कोई ट्रॉफी हो जिसे तूने ओलंपिक में हासिल की हो”। विशी ऋद्धि को घूरते हुए बोली।
अरे मेरी स्ट्राबेरी फ्लेवर की ये आइसक्रीम किसी ट्रॉफी से कम हैं क्या ? कितनी भागदौड़ करनी पड़ी मुझे इसके लिए , पता नहीं क्या दुश्मनी है आइसक्रीम पार्लर वालों की बारिश से, बाहर निकालते ही नहीं अपनी आइस्क्रीम बहू को घूंघट से, कितनी मुश्किल से तो मिली है, तुझे खाना है तो खा , उपदेश मत दे मुझे। ऋद्धि मुंह बनाते हुए बोली।
ऋद्धि की बात सुनकर विशी की हंसी छूट गई,
” पागल लड़की नहीं मानेगी तू,मुझे पता है, तू आइस्क्रीम खा और मर, मैं जा रही हूं चाय पीने वो भी कुल्हड़ वाली । तू भीगती रह यहां गोल गोल बारिश में। मैं तो चली काका की चाय की दुकान पे, जब तेरी पागलपंती खत्म हो जाए भीग भीग कर तू थक जाए और तेरा शरीर जोर जोर से चिल्ला चिल्ला कर चाय की पुकार करने लगे तो आ जाना तू भी , चाय के साथ गर्म पकौड़े भी खिलाऊंगी । तब तक के लिए बाय सी यू , टा टा। विशी नाटकीय अंदाज में हाथ हिलाते हुए सामने वाली चाय की दुकान पर चली गई।
ऋद्धि को कोई फर्क नहीं पड़ा वो वहीं सड़क पर भीगती रही और आइस्क्रीम खाती रही।जब काफी देर हो गई और बारिश बंद हो गई तो वो मुंह बनाते हुए चाय की दुकान पर चली गई। उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वो बारिश के बंद हो जाने से नाराज हो गई है।
“आ गई महारानी, बारिश की दीवानी ,आपका मूड क्यों ऑफ हो गया है, ओ… बारिश बंद हो गई है इसलिए । कोई नहीं वो तो फिर आ जायेगी, तब तक आप गरमागरम पकौड़े और चाय पीजिए”। विशी ने ऋद्धि का हाथ पकड़ कर जबरदस्ती अपने बगल में बिठाया।
“विशी , तूने अभी कहा पकौड़े चाय पीजिए ,क्या स्पेशल पकौड़े बने हैं जिन्हें मैं पी सकती हूं”? ऋद्धि कुछ सोचते हुए बोली।
विशी को तब समझ में आया कि उसने क्या बोला और दोनो सहेलियां खिलखिलाकर हंस पड़ी।
“भाभी, आप क्या सोच रही हो ? आप अपने आपमें ही हंस रही हो, मैं कब से आपको बुला रही हूं ,आप जवाब ही नहीं दे रही कुछ, क्या हुआ है आपको?” ऋद्धि की छोटी ननद रिनी ने ऋद्धि को हिलाकर उसको अतीत से बाहर निकाला।
ऋद्धि चौंक उठी , उसकी मुस्कान गायब हो गई ऐसा लगा मानो रिमोट से मुस्कान को बंद कर दिया गया हो
“क्या हुआ रिनी? क्यों बुला रही थी तुम मुझे? कुछ काम था क्या? ऋद्धि ने घबराते हुए पूछा ?
“हां भाभी, वो भैया बहुत गुस्से में हैं “….
क्या बात थी, क्या हुआ आगे ? ऋद्धि की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए आप सब “अनदेखा मीत”
संगीता शर्मा” प्रिया”