जिंदगी को आसान बनाने के चक्कर में अनचाहा बोझ कब  हमारे ऊपर आ जाता है  पता ही नहीं चलता । मम्मी को घर चलाने का बोझ … पापा को ऑफिस का बोझ … सब किसी – ना – किसी को बोझ तले दबे ही हुए हैं । इन्हीं बोझों  के बीच  एक अनचाहा बोझ भी चुपके से दस्तक दे रहा है जिसके बारे में बहुत कम लिखा या कहा गया है और  वह है बच्चों पर बढ़ती किताबों का बोझ ।‌

अपने बच्चों को सबसे अब्बल बनाने के चक्कर में माता –  पिता अपनी कोमल से बच्चों को अनजाने बोझ तलें  दबाते  जा रहे हैं । सुबह स्कूल जाना …. स्कूल के बाद ट्यूशन … ट्यूशन के बाद पेंटिंग क्लास … म्यूजिक क्लास आदि … इत्यादि । मस्त मौला होकर खेलने – कूदने की उम्र में माता-पिता की जरूरत से ज्यादा अपेक्षा रखने का परिणाम स्वरूप बच्चों का बचपना सिसकियां भर  रहा है। 
मूल रूप से इसका कारण हमारी शिक्षा पद्धति है । आजादी के इतने वर्षों बाद भी सबके लिए एक समान सिलेबस तक  बनाई नहीं जा सकी है । ऐसे में बच्चों पर अनचाहा बोझ दिन-प्रतिदिन  बढ़ता ही जा रहा है ।अब  प्रश्न उठता है कि बच्चे यह अनचाहा  बोझ उठाते क्यों है ? 
हमारे समाज में बच्चों के दिमाग में बचपन से ही यह  बात उनके माता-पिता या नाते रिश्तेदारों के द्वारा  बिठा  दी जाती है कि अगर वें  डॉक्टर या इंजीनियर बनते हैं तभी उनको समाज में इज्जत मिलेगी । कुछ बच्चें  को  डॉक्टरी या  इंजीनियरिंग के अलावा  कुछ अलग  करना भी होता है तो सबसे पहले वह यही सोचता है कि अगर वह अपने माता-पिता और नाते – रिश्तेदारों के  कहें  अनुसार वह  नहीं बन पाता है तो समाज में उसकी इज्जत होगी ही नहीं । 
समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए वह बचपन से ही किताब रूपी अनचाहे बोझ को  ढ़ोने में लग जाता है । छोटे छोटे बैग में अलग-अलग पीरियड की अलग-अलग किताबें और कॉपियों का बोझ अपने कंधों पर लादकर   वह स्कूल जाता है । इस अनचाहें  बोझ के कारण उसके कंधे तक झुक जाते हैं … दोनों हाथों में दर्द होने लगता है फिर भी उसे इजाजत नहीं की उस बोझ को  अपने कंधे से उतार सके ऊपर से कभी उसके साथ भूल से यह  घटना हो जाए कि किसी विषय की उसकी कॉपी या  किताब घर पर ही छूट जाए तो ऐसे में उसे किताब या कॉपी नहीं लाने के कारण डांट के साथ-साथ दंड का भी भागी  होना पड़ता है । 
नर्सरी क्लास से ही अपनी उम्र के अनुसार  किताबों का बोझ उठाने की आदत बच्चों  को हो जाती है । कक्षा आठवीं तक तो थोड़ी – बहुत बच्चों को राहत मिल  जाती है लेकिन जब  वह  नौवीं कक्षा में आता है तब अचानक से उसे एक धक्का लगता है कि अब तो उसे अत्यधिक पढ़ना है क्योंकि अगले  साल के बाद बोर्ड की परीक्षा  जो है  । अगर तुम नहीं पढ़ोगे तो पीछे रह जाओगे । तुम्हारे अंक कम  आएंगे  । ऐसा  उसके साथ बारहवीं कक्षा तक होता है  । लोग उसे याद दिलाते रहते हैं कि तुम्हारा बोर्ड है इसलिए  पहले पढ़ लो दूसरी चीजें बाद में करना । ऐसे में   बच्चों को मानसिक तनाव तो झेलना ही पड़ता है । इन्हीं तनावों  से गुजरते हुए जब बच्चा पढ़ाई के बोझ तले दबकर  बारहवीं पास कर लेता है उसके बाद उसके सामने अच्छा कॉलेज ढूंढने का तनाव  भी सामने आकर खड़ा हो जाता है साथ ही  प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और उसमें पास होने का तनाव बच्चे पर इस कदर होता है कि वह  दिन –  रात किताब रूपी उस अनचाहें  बोझ  को ढ़ोता  रहता है । 
एक और वजह है इस अनचाहें बोझ  को ढोने का । मान लेते हैं कि  अगर किसी बच्चे को पेंटिंग करना पसंद है तो जाहिर सी बात है कि वह बच्चा आर्टिस्ट बनना चाहेगा । भारत में आर्टिस्ट बनने वाले के लिए कोई नौकरी उपलब्ध  नहीं है ऐसे में अगर वह बच्चा पेंटिंग को किसी तरह जारी रखना भी चाहता है तो वह उसके लिए एक हाॅबी  बन कर रह जाती है । 
माता –  पिता की आशाओं को पूरा करने के लिए बच्चा दिन-रात पढ़ाई करता है । कोचिंग जाता है और घर आकर भी सोलह से अठारह घंटों  तक उस अनचाहें बोझ  को अपने सर पर उठाने के बावजूद भी यह निश्चित नहीं है कि उसे सरकारी नौकरी या समाज में प्रतिष्ठा दिलाने वाली नौकरी  मिल ही जाएं क्योंकि रोजगार के अवसर कम है और बेरोजगारी अत्याधिक है । 
बच्चों के कंधों से इस  अनचाहें बोझ को अगर कम करना है ..  उसे तनाव रहित रखना है तो सरकार को भी अपनी शिक्षा पद्धति में बदलाव लाने की आवश्यकता है । सरकारी और गैर सरकारी सभी स्कूली संस्थाओं को नर्सरी कक्षा  से  ही  एक समान ही सिलेब्स और किताबें बच्चों को मुहैया कराने की व्यवस्था करनी होगी । बच्चों के सामने ऐसी शर्त  नहीं  होनी चाहिए कि उन्हें सारे बिषय पढ़ने ही  होंगे । जरूरी नहीं कि एक बच्चे को हर विषय में रुचि हो । जिस किसी खास विषय में उसकी रुचि हो बचपन से उसे उसी क्षेत्र में आगे बढ़ाने और पढ़ाने की व्यवस्था की जानी चाहिए । सरकार के साथ-साथ माता पिता …. अभिभावकों और नाते – रिश्तेदारों को भी अपनी सोच में परिवर्तन लाने की जरूरत है क्योंकि अपनी मनपसंद विषय पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया । 
    ###### समाप्त ########
                                              धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
” गुॅंजन कमल ” 💓💞💗
  
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