अब रातों को नींद आये न आये,
फिक्र नही होती क्यूकि अब जगना अच्छा लगता है।
पता है साथ नहीं है अब हमारा,
फिर भी रब से तुझे बार बार मागना अच्छा लगता है।
सोचती हू जब भी तेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा,
तो मैं भी मुस्कुराती हू ,
क्यूकि तेरी यादों मे रहना अच्छा लगता है।
तु है नहीं इस जहां मे ,
फिर भी तुझे महसूस करना अच्छा लगता हैं।
तु अब नहीं साथ मेरे दिल नही मानता,
क्योंकि दिल को भी तेरे लिए धड़कना अच्छा लगता है।
प्रिती उपाध्याय@