धरो धीर, पग पग है तीर,
साधो शरीर, ओ अग्निवीर;
ओ अग्निवीर, गड़ दे लकीर,
दे शंखनाद, शत्रु को चीर;
अग्निपथ और अग्निवीर….
माटी से खिल, माटी में मिल,
बन के थिरक, भारत का दिल;
ओ अग्निवीर, न हो अधीर,
तू कर्ण वीर, तू रक्त शीर;
अग्निपथ और अग्निवीर….
एक लक्ष्य ले, बढ़ता तू चल,
न संशय कर, चलता तू चल;
ओ अग्निवीर, विधा गम्भीर,
तुम लौह पाद, हो लौह मिहिर;
अग्नि पथ और अग्निवीर…..
सैनिक नही तुम दूत हो,
माँ भारती के पूत हो;
ओ अग्निवीर, तोड़ दे जंज़ीर,
तुम रक्तधर, तुम ही रण धीर,
अग्निपथ और अग्निवीर….
~राधिका सोलंकी (ग़ाज़ियाबाद)
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