विक्रम एवं उनके साथियों का चरित्र चित्रण – 
“विक्रम, प्रशांत , करण, जय, रवि और अमन यह सारे लड़के एक ही गाँव के थे और साथ साथ ही सैनिक में जाने की तैयारी कर रहे थे। इनका स्कूल से लेकर कॉलेज तक का सफर साथ में ही बिता। गाँव से दूर शहर में भी रूम लेकर यह एक साथ रहते थे और पढाई करते थें। यही कारण था की इनलोगो में गहरी मित्रता थी। इन सभी दोस्तों में करण ही ग्रुप का लीडर था, जो की बहुत ही गुस्सेल् और लडाई करने वाला था इसलिए सभी इसे ग्रुप का लीडर कहते थे। विक्रम और प्रशांत ये दोनों भी लडाई झगड़े में पीछे नहीं रहते थे लेकिन करण के तुलना में ये करण से पीछे थे, क्योंकि करण की कोई सीमा नहीं थी लडाई में वह न जाने कितनों का खून तक बहा चुका था! लेकिन विक्रम और प्रशांत कभी किसी का खून नहीं बहायें थे बस यही फर्क था ,करण और इन दोनों में “। 
“अब बारी है जय और रवि की इन्हें लडाई झगड़ों से कोई मतलब नहीं रहता था। ये दोनों मजाकिया किस्म के लोग थे। इन्हें हँसी मजाक करना,इक दूसरे को किसी लड़की का नाम लेकर चीढाना बस इन्हीं सब चीजों से मतलब था। रही बात अमन की तो वह अपने नाम की भाँति ही शांत रहा करता था। उसे बस पढाई के सिवाय किसी चीज से कोई लेना देना नहीं था “। 
अमन की बातों को सुन विक्रम और प्रशांत कुछ देर शांत रहते हैं और फिर बिना बोले कुछ वहाँ से चले जाते हैं। उनके जाने के बाद सीमा दरवाजे बंद करती है और अमन से कहती है –
“अगर तुमने एक पल भी मातृभूमि की रक्षा करने का सोचा होगा, या तुम में जरा सा भी अपने देश प्रेम की भावना होगी! तो तुम इस देश की सम्पति को बर्बाद नहीं करोगे। बहुत बहादुर होते हैं वह लोग जो सैनिक में जाते हैं । न जाने उन्हें कितना त्याग करना पड़ता है तब जाकर वह कहीं सैनिक बन पाते हैं। वतन पर मिटने वाले वेतन के लिये देश बर्बाद नहीं करते। अब ये निर्णय तुम्हें लेना है की वतन चाहिए या वेतन? ये कहते हुए सीमा रात्रि का भोजन बनाने में लग जाती है। 
माँ की बातों को सुन अमन भावुक हो जाता है और वह आने वाले कल को लेकर परेशान हो जाता है ,की वह तो अपने देश की सम्पति को बर्बाद नहीं करेगा। किंतु वह अपने दोस्तों को ये सब करने से कैसे रोकेगा। और न ही वह इन सब से अपने देश की रक्षा कर पायेगा । 
दूसरी तरफ अमन की माँ ये सोच रही होती हैं की कहीं अमन भी अपने दोस्तों के बहकावे में आकर कुछ गलत ना कर बैठे, जिससे उसका भविष्य अंधकार में पड़ जाय। 
कुछ देर बाद भोजन तैयार होते ही सीमा अमन को भोजन करने को कहती है लेकिन अमन ‘ भूख नहीं है ‘ये कहकर भोजन करने से मना कर देता है।  आखिरकार सीमा के लाख कहने पर वह भोजन करने को तैयार हो जाता है। भोजन करने के बाद अमन सोने चला जाता है किंतु  मन में हजारों सवाल चल रहे थे जिसके वजह से वह सो नहीं पाता है। वह एक गहरी सोच में डूब जाता है की क्या आंदोलन करने से सरकार ये फैसला वापस ले लेगी? और कब उसे नींद आ जाती है पता ही नहीं चलता। 
सुबह के ६ बज रहे होते हैं लेकिन अमन तब भी सो ही रहा होता है । आज से पहले अमन कभी भी इतने देर तक नहीं सोया था। सीमा को घबराहट हो जाती है की कहीं उसने कुछ कर तो नहीं लिया,वह करीब आकर देखती है तो अमन की साँसे चल रही होती है। ये देख उसका विचलित मन शांत हो जाता है। और वह अमन को सोये रहने देती है। 
क्रमशः 
गौरी तिवारी 
भागलपुर, बिहार
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