कुछ समय बाद अमन जगता है तो उसकी नजर दीवार पर टंगी हुई घडी पर पड़ती है जिसमें ८ बज रहा होता है। समय देखकर उसे राहत महसूस होती है, की “कल जो भी उसके मित्र गण बोल रहे थे वह ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे , अगर ऐसा करना होता तो वह उसे अपने आंदोलन में शामिल होने को जरूर कहतें।
दूसरी तरफ अमन के सभी मित्र और गाँव के बहुत से लडके जिन्हें सैनिक में नहीं जाना था, वह भी इनलोगों के साथ मिलकर ट्रेनों, बसों, ट्रक इत्यादि यहाँ तक की बहुत से पब्लिक कारों तक को आग लगा देते हैं। करण अमन को वहाँ न देखकर कुछ लड़कों के साथ उसके घर आ जाता है और अमन को आंदोलन में शामिल होने को कहता है। अमन और सीमा (अमन की माँ) के लाख मना करने पर भी वह नहीं मानता है। आखिरकार अमन को आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए जाना ही पड़ता है।
अमन बचपन में ही ये संकल्प लिया होता है की परिस्थिति चाहे जैसी भी हो वह कभी अपने देश का अहित नहीं करेगा। वह अपने बल का प्रयोग सदा देश हित के लिये ही करेगा।ट्रेनों, बसों में आग लग जाने के कारण बहुत से यात्री वहीं बैठे घर जाने की प्रतिक्षा कर रहे होते हैं। वहाँ पहुँचते ही अमन भीड़ में घुस जाता है ,और भीड़ को चिरते हुए! अपने साथियों से बहुत आगे निकल जाता है । कुछ दूरी तय करने के बाद अमन एक आम के पेड़ के नीचे बैठे जाता है। वह वर्तमान स्थिति को देख बहुत दुःखी होता है। सबसे ज्यादा उसे इस बात से दुःख होता है की जिन लड़कों ने उसके साथ सैनिक में जाने की कसमें खायी थी, देश की रक्षा करने के लिये सर्वस्य लूटाने की कसमें खायी थी, आज वही अपने देश के शत्रु बन बैठें हैं। वह इन सब बातों के सोच में डूबा ही था । तभी एक उमार्दराज व्यक्ति उसे अकेला बैठा देख उसके पास आता है और उससे कहता है –
“क्या जनाब! यात्री हो ? घर वालों का प्रतिक्षा कर रहे हो ? वैसे कहाँ जा रहे हैं आप ?
जी, मैं यात्री नहीं हूँ! यहीं पास में घर है मेरा। एकदम दबे हुए आवाज में दुःखी होकर अमन ने कहा।
” इतने दुःखी क्यों हो किसी ने तुम्हारी भी बाइक जला दी क्या? चिंता जताते हुए उस व्यक्ति ने पूछा।
“जी नहीं , अमन ने कहा
“तुम्हें देखकर तो नहीं लगता की तुम भी सैनिक बनने की तैयारी कर रहे होगे क्योंकि अगर ऐसा होता तो आज उनलोगों के साथ तुम भी देश की सम्पति को बर्बाद कर रहे होते “। उस उमार्दराज व्यक्ति ने कहा ।
जी , मैं भी सैनिक बनने की तैयारी कर रहा हूँ क्योंकि मुझे भी सैनिक बनना है और अपने देश की रक्षा करना है न की इस तरह से अपने देश की सम्पति को बर्बाद करना है और न ही अपने देश का अपमान करना है “। अमन एक ही सांस में ये सारी बातें कह जाता है।
क्रमशः
गौरी तिवारी
भागलपुर, बिहार