वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
वैसे तो डॉ हरिवंश राय बच्चन जी की लिखी इन पंक्तियोन की तर्ज़ पर अग्निपथ फ़िल्म में महानायक अमिताभ बच्चन ने जब कहा तो इसकी गहराई सौ गुना बढ़ गई और यह जन- जन में लोकप्रिय हो गया।
इतनी लोकप्रियता पाई की आज भारत सरकार की सैनिकों के लिए एक योजना को नाम मिला अग्निपथ और इस अग्निपथ पर जो चलेगा वह अग्निवीर कहलाएगा।
जरा ठहरिए पहले जान तो लें कि लयह अग्निपथ योजना है क्या?
भारत सरकार ने तीनों सेवाओं थल सेना, नौसेना और वायु सेना में सैनिकों की भर्ती के लिये अग्निपथ योजना का प्रस्ताव शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत देशभक्त और देशभक्ति की कामना रखने वाले युवाओं को चार साल की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने की अनुमति दी जाती है।इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। इस नई योजना के तहत लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी और अधिकांश केवल चार वर्षों में सेवा छोड़ देंगे। चार साल के बाद बैच के केवल 25% को ही 15 साल की अवधि के लिये उनकी संबंधित सेवाओं में वापस भर्ती किया जाएगा।
कुल मिला कर युवाओं के लिए जो आज बेरोजगारी के कठिन दौर से गुज़र रहे हैं, उन्हें जो देशभक्त हैं और देशभक्ति की कामना रखते हैं उन जुझारू युवाओं को रोजगार मिलेगा।
देश का युवा जो आज भ्रमित है, कुंठित है और एक ऐसी मनःस्थिति में पहुँच गया है जहाँ उन्हें झूठी बातों से भी बहकाना और बरगलाना बहुत आसान हो गया है। तभी तो बिना मकसद कभी खून से लथपथ होते हैं तो कभी अग्नि से घिरे अपना ही सर्वनाश करते हैं।
देश के लिए मर मिटने वाले ही देश की संपत्तिऔर सम्मान दोनों ही नष्ट कर रहे हैं।
देशप्रेम के लिए ज़ज़्बे की आवश्यता होती है और ये बात सबसे ज्यादा मायने रखता है कि हम अपने जीवन में देश को किस स्थान पर रखते हैं।
हमारा देश प्रजातांत्रिक देश है। विचारों की और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान से मिली है।
लेकिन विरोध की स्वतंत्रता तो हम जन्म से ही पा जाते हैं। यह सच है कि किसी भी बात को बिना विश्लेषण के स्वीकार नहीं करना चाहिए। परन्तु बिना विश्लेषित किए ,स्वार्थ के लिए विरोध करना कहाँ तक सही है?
सोचना है, देश के हर ज़िम्मेदार नागरिक को सोचने की आवश्यकता है। अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि समय के साथ यह कथ्य सही हो जाए….
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
मधुलिका सिन्हा
गुरुग्राम