प्रेम शब्द ही है यह बड़ा निराला,
ऐसा कोई नहीं जो किया ना हो।
निज जीवन में प्रेम प्यार इश्क में,
किसी का संग ना कोई जिया हो।
लैला ने किया मजनूं से जीवन में,
बेपनाह मोहब्बत इन दोनों में थी।
शीरी ने किया फरहाद से बेइंतहा,
मोहब्बत जवानी इन दोनों में थी।
हीर एवं रांझा की मोहब्बत इश्क,
सब सुनते थे सब की जुबानी थी।
राजा भरत-शकुंतला के प्रेम का,
किस्सा भी सुने ऐसी कहानी थी।
अकबर व जोधा बाई के बेपनाह,
को भी दुनिया ने सुना है देखा है।
शाहजहां मुमताज बेगम के प्यार,
को भी दुनिया ने सुना है देखा है।
अगाध प्रेम की निशानी ऐसी एक,
ताजमहल शाहजहां का बनवाया।
दुनिया का सातवां ये 1 अजूबा है,
सफेद संगमरमर का जो बनवाया।
ये तो हुई कुछ राजा महाराजा का,
कुछेक शहंशाह एवम नबाबों का।
ऐतिहासिक किस्से भरे पड़े हुए हैं,
इश्क से राजे महाराजे नबाबों का।
प्रेम तो अमीर गरीब सभी करते हैं,
अपने बल बूतों की भी निशानी है।
किसी की है अनुपम ताजमहल तो,
किसी का शिशु ही प्रेम निशानी है।
किसी के कान में झुमका बाली ये,
गले में ये मंगलसूत्र प्रेम निशानी है।
किसी के हाथों में चमके जो कंगन, 
सोने हीरे का ये हार प्रेम निशानी है।
किसीके उंगली में हीरेमोती अँगूठी,
माथे पे बिंदिया प्रेम की निशानी है।
किसीके प्यार मोहबत इश्क की ये,
गोद में खेले उसकी प्रेम निशानी है।
जिसको भारत की मिट्टी से प्यार है,
उसका तो ये स्वदेश प्रेम निशानी है।
महाराणा को निज घोड़े से प्यार था,
चेतक भाला व देश प्रेम निशानी है।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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