मामूली सी ख़बरों को बड़ा असरदार बनातीं हैं 
अख़बार की सुर्खियाँ ।
कोई नज़र अंदाज़ करना भी चाहे तो कर नही पाता
इस क़दर चीख़ चीख़ बुलातीं हैं सुर्खियाँ ।
चटपटे मसाले में घोल कर ख़बर को क्या से क्या बना देतीं हैं यही सुर्खियाँ ।
इन्ही सुर्खियों ने हर तरफ हल्ला मचा दिया ।
रोचक सुर्खी देख कर ही ख़बर पूरी पढ़ने की दिल करता ।
कभी कभी तो पूरी ख़बर पढ़कर सुर्खियों पर गुस्सा भी आता ।
सिर्फ अख़बार की सुर्खियों से ही ना पूरी ख़बर का सार निकाल लेना ।
होतीं हैं हटकर भी ख़बर कुछ और बोलतीं हैं सुर्खियाँ ।
हुमा अंसारी
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