यहां वहां सर्वत्र जहां
ढोंगी बाबाओं ने डाला डेरा
  शातिर शिकारी की भांति
बिछा कर जाल अपना
बैठे हैं घात लगाये
भोले भाले लोगों के
विश्वास को ठगते हैं
भावनाओ से खेलते उनकी
अपना उल्लू सीधा करते
आंखे मूंदकर जनता
करती इनका विश्वास
मानते जमीन पर इनको
ईश्वर का अवतार
बस इसी बात का 
तोफायदा उठाते ढोंगी
उल्टा सीधा डरा डराकर
भरते अपनी झोलियाँ
हालात से परेशान प्राणी को
जब दुख चिंता सताती है
इन बाबा के चरणों में
उनका समाधान नजर आता है
कष्टों से छुटकारा पाने को
इनके आगे हो जाते नतमस्तक
डूबते को होती बस
इक तिनके की आस
इसीलिए इनकी बातों पर
आंख मूंद कर लेते विश्वास
विश्वास और अंधविश्वास में
बहुत बारीक है अंतर
जब बिना सोचे समझे
करते इनका अनुसर्णु
तब खेल जाते भावनाओं से
छल करते उनके विश्वास से
एक मछली गंदा करती
सारे तालाब को।
स्व रचित
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