अंधा कानून है यहां,
रुतबे का बोलबाला है,
पूछता नहीं कोई यहां,
किसने किया घोटाला है।
चंद सिक्कों की खातिर यहां,
इज्ज़त नीलाम हो जाती है,
पूछता नहीं कोई यहां,
हुनर मंद का मुंह काला है।
अरसा लगता हैं इंसाफ में,
टूट जाता पाने इसे पाने वाला है,
पूछता नहीं कोई यहां,
सबके मुंह पर लगा ताला है।
अंधा कानून है यहां,
रुतबे का बोलबाला है।
पूजा पीहू