अंतिम विदाई
सब कह रहे थे दे अंतिम विदाई उसे,
भीगी पलकों से, बेजान सी, एक कोने मे बैठ ,
तक रही थी उसे,
अकड़ चुकी थी, पता नहीं क्यों आज गहरी नींद सोई थी ,
वो नींद में थी, उसे नहलाया जा रहा था,
सजाया जा रहा था उसे दुल्हन की तरह,
बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,
मुझे समझ नहीं आ रहा था,
नियति का कौन सा खेल जा रहा था,
पूरा घर रो रहा था,
सब को रूला के कितने चैन से सोई थी,
कितना सुकून था चेहरे पर,
मरी रूह काँप रही थी, मेरी दुनिया मुझसे दूर जा रही थी,
खुद तो सो गई, पर मुझे कौन सुलाएगा,
नम आँखों से पकड़ के लिपट गई उससे,
सबने कहा वो नहीं जगेगी , कर दो विदा ,
फूल माला चढ़ाया उसे चार लोगों ने उठाया,
सबने दे दी अंतिम विदाई उसे,
चली गई माँ मुझसे दूर ,
ले ली मुझसे भी अंतिम विदाई ।
दे दी मैंने भी अंतिम विदाई उसे।।