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मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ भौतिक सख-साधनों में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई। छाया चित्रों का भी क्रमिक विकास हुआ। फिर इन चित्रों में गति उत्पन्न हुई। धीरे-धीरे ये मूक चित्र बोलने व चलने-फिरने लगे और चलचित्रों का जन्म हुआ। इस आविष्कार ने संसारभर की मनुष्य जाति के मन-मस्तिष्क पर अपना साम्राज्य बना लिया और आज चलचित्रों के प्रभाव से कोई भी अछूता नहीं है।
प्रकाश, ध्वनि व चित्रों की सहायता से किया गया यह अनुपम आविष्कार आज मनोरंजन का प्रमुख साधन है। आरंभ में मूक चित्रों का निर्माण किया गया। फिर श्वेत-श्याम ध्वनियुक्त चलचित्र प्रकाश में आए। भारत में प्रथम महायुद्ध के समय इस आविष्कार ने अपना प्रभाव जमाना आरंभ किया। नाटक, कहानी, प्रहसन का आनंद लोगों को चलचित्र में मिलने लगा। धीरे-धीरे छोटे-बड़े सभी शहरों और कस्बों में चलचित्रों की लोकप्रियता बढ़ती गई।
चलचित्र मनोरंजन का उत्तम साधन है। इसके द्वारा अपने देश की संस्कृति व सभ्यता को जीवित रखा जा सकता है। पौराणिक कथाओं पर आधारित चलचित्रों के माध्यम से समाज में आदर्शात्मक गुणों की स्थापना की जा सकती है।
चलचित्रों के माध्यम से देश की कठिन-से-कठिन समस्याओं को सुलझाने में मदद मिल सकती है। सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अभियान छेड़ने में चलचित्र प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भावात्मक कथाप्रधान चलचित्रों के माध्यम से समाज की बुराइयों व कुप्रथाओं को दूर किया जा सकता है। चलचित्रों द्वारा किसी भी प्रथा के कारण, कार्य व परिणाम दिखाकर दर्शकों के विवेक को झकझोरा जा सकता है। अनेक गंभीर समस्याओं को कथाओं के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाकर उन्हें जागरूक व सचेष्ट किया जा सकता है। वर्तमान में बढ़ रही मद्यपान, मादक द्रव्यों का सेवन, दहेज-प्रथा, रिश्वत, भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं के प्रति जनमानस की विचारधारा को आंदोलित करने में चलचित्रों का भूमिका सरहानीय हो सकती है
चलचित्र जीवन का व्यवहारक ज्ञान देते है किसी भी बिषय पर बना चलचित्र दर्शको को उनकी रुचि के अनुकूल आंनद व शिक्षा प्रदान करता है देश,बिदेस के चलचित्रों देख कर लोग ने केवल दुसरो का,रहन सहन से परिचित होते है अपितु उनकी जीवन सैली और विचार धारा प्रेक्षको को कार्यप्रणाली को प्रभावित है देश भक्ति की भावना से पूण चलचित्र का युवाओ के मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है वे देशसेवा के कार्यो में जुटने की प्रेणा प्रप्त करते है।
चलचित्र का प्रयोग शिक्षा के प्रसार हेतु भी किया जा सकता है आजकल गणित भूगोल इतिहास तथा तकनीकी शिक्षा देने के लिये भी चलचित्र उत्तम माध्यम मने जा रहे है दृश्य श्रव्य होने के कारण ये छत्रों के मन मे ज्ञान व्यवहार सबंधी अमिट प्रभाव छोड़ते है डाक्यूमेंटी दुर्गम स्थलों, विभिन कार्यो योजनाओ के बिषय में विस्तृत जानकारी दी जा रही है
देश मे आर्थिक सपन्नता लेन में भी चलचित्रों का बड़ा योगदान है विस्वभर में भारतिय विचार धारा कला संस्कृति धर्म दर्सन का प्रचार प्रसार करने में चलचित्र की विषेस भूमिका है चलचित्र व विज्ञपनदाताओ के लिए तो चलचित्र वरदान सिद्ध हुए है।
चलचित्र मनोरंजन तथा ज्ञान बृधी के उत्तम साधना है कुछ लोग का मानना है कि मनोरंजन के लिए विकसित इस कला ने अब वकृत रूप धारण कर लिया है हिंसा से भरे अश्रवलीला व भौडे दृश्य के माधयम से चलचित्र निर्माता सस्ती लोक प्रियता व धनार्जन करना करना चाहते है इस प्रकार से बने चलचित्र युवाओ में अनेक मानसिक विकृतियों को जन्म देते है।
चलचित्र के पक्ष व विपक्ष में अनेक प्रकार के विचार समाज मे उपलब्ध है चलचित्र के लाभ सैद्धितिक है,परंतु व्यावहारिक रूप में इसकी हानिया ही अधिक प्रकाश में आ रही है कल की उन्नति व चलचित्र की विधा का समाज को भरपूर लाभ मिले इसके लिए सामाजिक सरकारी व ब्यक्तिगत प्रत्येक स्तर पर भरपूर प्रयास की आवश्यकता है ताकि मनिरंजन के इस उत्तम साधना का समाज व राष्ट्रहितार्थ सदुप्रयोग सम्भव हो सके।।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
✍️🌹✍️🌹💘प्रितम वर्मा🏵️🌺🏵️🌺🌺🪴🪴